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सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
त्रयोविंश अध्ययन [२९६
साहु गोयम ! पन्ना ते, छिन्नो मे संसओ इमो ।
अन्नो वि संसओ मज्झं, तं मे कहसु गोयमा ! ॥६४॥ (केशी) गौतम ! तुम्हारी प्रज्ञा श्रेष्ठ है। तुमने मेरा यह संशय भी दूर कर दिया। मेरा एक और भी संशय है। उसके सम्बन्ध में मुझे कुछ कहो ॥६४।।
(Kesi) Gautama ! Your intelligence is the best, you have removed my this doubt. But I have another doubt also, remove that. (64)
महाउदग-वेगेणं, बुज्झमाणाण पाणिणं ।
सरणं गई पइट्ठा य, दीवं कं मन्नसी मुणी ? ॥६५॥ हे मुने ! महान जल प्रवाह के वेग में बहते-डूबते प्राणियों के लिए शरण, गति, प्रतिष्ठा और द्वीप तुम किसे मानते हो ?॥६५॥
Beings are carried away by the tremendous flood of water, what shelter, refuge, firm ground, island you suppose for them ? (65)
अत्थि एगो महादीवो, वारिमज्झे महालओ ।
महाउदगवेगस्स, गई तत्थ न विज्जई ॥६६॥ (गौतम) जल के मध्य में एक विशाल महाद्वीप है। वहाँ महान जल प्रवाह के वेग की गति नहीं होती है-वहाँ जल नहीं पहुँचता ॥६६॥
(Gautama) There is a vast, great island amidst the water. That is not inundated by the hugest flood of water. (66)
दीवे य इइ के वुत्ते ? केसी गोयममब्बवी ।
केसिमेवं बुवंतं तु, गोयमो इणमब्बवी ॥६७॥ (केशी) केशी ने गौतम से कहा-वह महाद्वीप कौन-सा कहा जाता है ? केशी के पूछने पर गौतम ने इस प्रकार कहा-॥६७॥
(Kesi) Which is that huge and great island ? The words of Kesi were answered by Gautama thus-(67)
जरा-मरणवेगेणं, बुज्झमाणाण पाणिणं ।
धम्मो दीवो पइट्ठा य, गई सरणमुत्तमं ॥६८॥ (गौतम) जरा (वृद्धावस्था) और मरण (मृत्यु) के महावेग से बहते-डूबते प्राणियों के लिए धर्म ही द्वीप, प्रतिष्ठा, गति और उत्तम शरण है ॥६८॥
(Gautama) By the fiercing velocity of oldage and death for sinking and flowing beings, religion is the only island, dry ground, safe place and best shelter. (68)
साहु गोयम ! पन्ना ते, छिन्नो मे संसओ इमो । अन्नो वि संसओ मज्झं, तं मे कहसु गोयमा ! ॥६९॥
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