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२८७] त्रयोविंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
गौतम को आते हुए देखकर केशी कुमारश्रमण ने सम्यक् प्रकार से उनके अनुरूप आदर-सत्कार किया ॥१६॥ When Kesi saw Gautama coming, he respected him properly. (16)
पलालं फासुयं तत्थ, पंचमं कुसतणाणि य ।
गोयमस्स निसेज्जाए, खिप्पं संपणामए ॥१७॥ गौतम को बैठने के लिए शीघ्र ही उन्होंने प्रासुक पयाल (ब्रीहि आदि चार धानों के घास) और पाँचवाँ कुश-तृण दिया ॥१७॥ He at once offered Gautama the pure seats of four kinds of straw and hay to sit upon. (17)
केसीकुमार - समणे, गोयमे य महायसे ।
उभओ निसण्णा सोहन्ति, चन्द-सूर-समप्पभा ॥१८॥ वहाँ वैठे हुए केशी कुमारश्रमण और महायशस्वी गौतम-दोनों चन्द्र और सूर्य के समान सुशोभित हो हे थे ॥१८॥
Keśī Kumāraśramaņa and most famous Gautama sitting there, shone forth like the lustre of moon and sun. (18)
समागया बहू तत्थ, पासण्डा कोउगा मिगा ।
गिहत्थाणं अणेगाओ, साहस्सीओ समागया ॥१९॥ कौतूहल की दृष्टि वाले अन्य सम्प्रदायों के परिव्राजक (पाषण्ड) तथा अनेक सहस्र श्रावक भी आ ये ॥१९॥
There assembled the hermitages of other creeds and thousands of laymen-house olders. (19)
देव-दाणव-गन्धव्वा, जक्ख-रक्खस-किन्नरा ।
अदिस्साणं च भूयाणं, आसी तत्थ समागमो ॥२०॥ देव-दानव-गन्धर्व, यक्ष-राक्षस-किन्नर तथा अन्य अदृश्य भूतों का वहाँ मेला-सा लग गया था ॥२०॥
Deities (gods), deinons, gandharvas, yakşas, rākşasas, kinnaras and other invisible hosts assembled there in the sky. (20)
पुच्छामि ते महाभाग ! केसी गोयममब्बवी ।
तओ केसिं बुवंतं तु, गोयमो इणमब्बवी ॥२१॥ केशी ने गौतम से कहा-हे महाभाग ! मैं आपसे कुछ पूछना चाहता हूँ। केशी के यह कहने पर गौतम ने हा-॥२१॥ Kesi said to Gautama-O fortunate ! [ want to ask something. Then Gautama said-(21)
पुच्छ भन्ते ! जहिच्छं ते, केसिं गोयममब्बवी । तओ केसी अणुनाए, गोयमं इणमब्बवी ॥२२॥
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