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२२१] एकोनविंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
एगूणविंसइमं अज्झयणं : मियापुत्तिज्जं एकोनविंश अध्ययन : मृगापुत्रीय
सुग्गीवे नयरे रम्मे, काणणुज्जाणसोहिए।
राया बलभद्दे त्ति, मिया तस्सऽग्गमाहिसी ॥१॥ वनों और उद्यानों से शोभायमान सुरम्य सुग्रीवनगर में बलभद्र नाम का राजा राज्य करता था। उसकी रानी का नाम मृगा था ॥१॥
Adored by gardens and parks, there was a pleasant city named Sugrivanagara. King Balabhadra ruled over this city and the name of his queen was Mțgā. (1)
तेसिं पुत्ते बलसिरी, मियापुत्ते त्ति विस्सुए।
अम्मापिऊण दइए, जुवराया दमीसरे ॥२॥ उनके बलश्री नाम का एक पुत्र था जो मृगापुत्र के नाम से विख्यात था। वह माता-पिता को अतिप्रिय था। वह युवराज तथा दमीश्वर (शत्रुओं का दमन करने वालों में प्रमुख) था ॥२॥
Their son was Balaśrī, but he was popular by the name Mrgāputra (son of queen Mrgā). He was much dear to his parents and was crown-prince. He was also a foremost subduer of enemies. (2)
नन्दणे सो उ पासाए, कीलए सह इत्थिहिं ।
देवो दोगुन्दगो चेव, निच्चं मुइयमाणसो ॥३॥ वह सदा दोगुन्दक देवों के समान प्रसन्नचित्त रहकर आनन्ददायक महल में निवास करता हुआ अपनी रमणियों के साथ क्रीड़ा में निमग्न रहता था ॥३॥
Living in his comfortable palace named Nandana, he dallied with his wives, with always pleasant mind like dogundaka gods. (These gods are addicted to luxurious living.) (3)
मणिरयणकुट्टिमतले, पासायालोयणट्ठिओ ।
आलोएइ नगरस्स, चउक्क-तिय-चच्चरे ॥४॥ एक दिन, मृगापुत्र मणि-रलों से जड़े फर्श वाले प्रासाद-महल के गवाक्ष में बैठा नगर के चौराहों, तिराहों और चौहट्टों पर होने वाले कुतूहलों को देख रहा था ॥४॥
One day Mpgåputra, sitting by the window of his chamber (palace) the floor of which was adorned by jewels and precious stones, was looking at the quadrivials, trivials and the persons moving on the royal road. (4)
अह तत्थ अइच्छन्तं, पासई समणसंजयं । तव-नियम-संजमधरं, सीलड्ढं गुणआगरं ॥५॥
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