________________
२१३ ] अष्टादश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
सकुमारो मणुस्सिन्दो, चक्कवट्टी महिड्ढिओ । पुत्तं रज्जे ठवित्ताणं, सो वि राया तवं चरे ॥ ३७॥
महर्द्धिक, मानवेन्द्र सनत्कुमार चक्रवर्ती भी अपने पुत्र को राजसिंहासन देकर तपश्चर्या में लीन हो गये थे ॥३७॥
Great fortunate, ruler of men, monarch Sanatkumara also plunged in penances enthroning his son. (37)
चइत्ता भारहं वासं, चक्कवट्टी महिड्ढिओ । सन्ती सन्तिकरे लोए, पत्तो गइमणुत्तरं ॥ ३८ ॥
महानऋद्धि के स्वामी और लोक में शांति करने वाले शांतिनाथ ( तीर्थंकर) चक्रवर्ती ने भी संपूर्ण भारतवर्ष के राज्य का त्यागकर, प्रव्रज्या ग्रहण की तथा अनुत्तर गति - सिद्धि गति प्राप्त की ||३८||
Owner of highest power, prosperity and wealth, showering peace in three worlds, universal monarch, Santinätha tīrthamkara also gave up the vast kingdom of Bharatavarṣa and being consecrated obtained emancipation. ( 38 )
इक्खागरायवसभो, कुन्थू नाम नराहिवो । विक्खायकित्ती धिइमं, पत्तो गइमणुत्तरं ॥ ३९॥
इक्ष्वाककुल के राजाओं में श्रेष्ठ, विख्यात कीर्ति वाले भगवान कुन्थुनाथ नरेश्वर - चक्रवर्ती ने प्रव्रज्या ग्रहण कर अनुत्तर सिद्धि गति प्राप्त की ||३९||
Best among the kings of Iksvāka generation ( इक्ष्वाक कुल ) and with wide fame, ruler of men, universal monarch, Bhagawana Kunthunatha accepted consecration and obtained emancipation. (39)
सागरन्तं जहित्ताणं, भरहं नरवरीसरो । अरो य अरयं पत्तो पत्तो इमणुत्तरं ॥४०॥
आ-समुद्र पर्यन्त भारतवर्ष के राज्य को त्यागकर कर्मरज को दूर करके नरों में श्रेष्ठ अरनाथ चक्रवर्ती ने मोक्ष गति प्राप्त की ॥४०॥
Renouncing the kingdom of ocean-girt Bharatavarșa, and exhaustively shedding off karma-dirt (micro particles of karmaņa vargaṇā), best in human-beings, universal monarch Aranātha attained emancipation. (40)
चइत्ता भारहं वासं, चक्कवट्टी नराहिओ ।
चइत्ता उत्तमे भोए, महापउमे तवं चरे ॥ ४१ ॥
भारतवर्ष के विशाल राज्य तथा उत्तमोत्तम भोगों को त्यागकर महर्द्धिक चक्रवर्ती महापद्म नरेश्वर ने तप का आचरण किया था || ४१ ||
Renouncing the wide-spread kingdom of Bharatavarșa and exquisite pleasures, great fortuned monarch Mahāpadma practised penances. (41)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.airelibrary.org