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सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
अष्टादश अध्ययन | २०६
अट्ठारसमं अज्झयणं : संजइज्ज अष्टादश अध्ययन : संजयीय
कम्पिल्ले नयरे राया, उदिण्णबल - वाहणे । नामेणं संजए नाम, मिगव्वं उवणिग्गए ॥१॥
कांपिल्य नगर में बल-वाहन- सेना तथा रथादि से संपन्न संजय नाम का राजा राज्य करता था। एक बार वह मृगया - शिकार के लिए सेना आदि से सुसज्जित होकर निकला ॥ १ ॥
The ruler of Kampilyapura city named king Sanjaya, who possessed power, troops, chariots. Once he went out of city for a-hunting with his troops. (1)
हयाणीए गयाणीए, रहाणीए तहेव य । पायताणी महया, सव्वओ परिवारिए || २ ||
वह संजय राजा चारों ओर से गज-सेना, अश्व-सेना, रथ- सेना तथा पैदल सैनिकों से परिवृत था ॥ २ ॥ King Sanjaya was surrounded by troops of elephants, horses and military (footmen) on all sides. (2)
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मिए छुभित्ता हयगओ, कम्पिल्लुज्जाणकेसरे । भीए सन्ते मिए तत्थ, वहेइ रसमुच्छिए ॥ ३॥
सैनिकों द्वारा कांपिल्य नगर के केशर उद्यान की ओर हाँके गये, भयभीत, श्रान्त मृगों को वह अश्वारूढ़ संजय राजा रस-लोलुप - मांस- लोलुप होकर मार रहा था || ३ ||
Chased by footmen to the Kesara garden of Kampilyapura the frightened deers, the king who was fond of meat, began to shoot them by arrows. (3)
अह केसरम्मि उज्जाणे, अणगारे तवोधणे । सज्झाय- ज्झाणसंजुत्ते, धम्मज्झाणं झियायई ॥४॥
उस समय केशर उद्यान में ध्यान में लीन रहने वाले एक तपस्वी अनगार धर्म-ध्यान का एकाग्रचित्त से चिन्तन कर रहे थे || ४ |
At that time a houseless penancer was in deep meditation with fixed mind. (4)
अप्फोवमण्डवम्मि, झायई झवियासवे । तस्साए मिए पासं, वहेई से नराहिवे ॥ ५ ॥
नवों का क्षय करने वाले वे अणगार एक लता मण्डप में ध्यान - लीन थे। उनके समीप आये हुए हरिणों को राजा संजय ने बाणों से मार डाला ॥ ५॥
Obstructor of inflow of karmas that houseless mendicant was deep in meditation in an avenue. King Sanjaya killed the deers who came near to mendicant. (5)
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