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१०३] दशम अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
दसमं अज्झयणं : दुमपत्तयं दशम अध्ययन : दुमपत्रक
दुमपत्तए पंडुयए जहा, निवडइ राइगणाण अच्चए ।
एवं मणुयाण जीवियं, समयं गोयम ! मा पमायए ॥१॥ जिस प्रकार रात्रियाँ (समय) बीत जाने पर वृक्ष का पका हुआ पत्ता झड़ जाता है। उसी प्रकार मनुष्य का जीवन है। इसलिये हे गौतम ! क्षण मात्र भी प्रमाद मत करो ॥१॥
With passing nights (time) as the ripened whitish-yellow-fallow leaf of the tree falls down to the ground. The life of man is like this. So Gautama ! do not be careless for even a moment. (1)
कुसग्गे जह ओसबिन्दुए, थोवं चिट्ठइ लम्बमाणए ।
एवं मणुयाण जीवियं, समयं गोयम ! मा पमायए ॥२॥ कुश (घास) के अग्रभाग (नोंक) पर चमकते हुए ओसबिन्दु के समान यह मानव जीवन क्षणिक है। अतः हे गौतम ! क्षण मात्र का भी प्रमाद मत करो ॥२॥
The life-duration of a man is transient like a dew-drop at the tip of Kuşa-grass. Therefore Gautama ! be not negligent even for a moment. (2)
इइ इत्तरियम्मि आउए, जीवियए बहुपच्चवायए ।
विहुणाहि रयं पुरे कडं, समयं गोयम ! मा पमायए ॥३॥ यह अल्पकालीन मनुष्य आयु भी बहुत से विघ्नों से भरी है और इसी में सम्पूर्ण कर्म-रज को झाड़ देना है। इसलिए हे गौतम ! क्षण मात्र का भी प्रमाद मत करो ॥३॥
This short-termed man-life is full of many hindrances; and in this short life all dust of karmas to be annihilated. So Gautama ! have no negligence even for a moment. (3)
दुल्लहे खलु माणुसे भवे, चिरकालेण वि सव्वपाणिणं ।
गाढा य विवाग कम्मुणो, समयं गोयम ! मा पमायए ॥४॥ संसार के समस्त प्राणियों को चिरकाल से ही मनुष्य-जन्म की प्राप्ति बहुत दुर्लभ रही है और कर्मों का विपाक अत्यन्त सुदृढ़ तथा तीव्र है। इस कारण हे गौतम ! क्षण मात्र का भी प्रमाद मत करो ॥४॥
To be bom as a man, is very difficult over the span of time; and the consequences of Imas are very rigid and intense. So Gautama ! be not careless everm for an instant. (4)
पुढविक्कायमइगओ, उक्कोसं जीवो उ संवसे । कालं संखाईयं, समयं गोयम ! मा पमायए ॥५॥ For Private & Personal Use Only
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