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________________ श्रुत सेवा में विशिष्ट सहयोग उपप्रवर्त्तिनी साध्वी रत्ना स्व. महासती श्री शशिकान्ताजी म. आपने अपने तप त्याग-सेवामय जीवन से सदा ही जिन शासन की विशेष प्रभावना की है। आपश्री की पाँच शिष्याएँ हैं: • उपप्रवर्त्तिनी श्री सरिताजी म. (डबल एम. ए.) • श्री स्नेह कुमारी जी म. (बी.ए.) • श्री अनिल कुमारी जी (डबल एम. ए.) • श्री अजय कुमारी जी म. "प्रभाकर" • श्री मीना कुमारी जी म. (एम.ए.) पूज्य महासती जी का पौत्र-प्रपौत्र शिष्याओं का भरा पूरा धर्म परिवार जिन शासन की शोभा में चार चाँद लगा रहा है। उपप्रवर्तिनी पूज्य महासती सरिता जी का शास्त्र प्रकाशन कार्य में विशेष प्रेरणा एवं सहयोग प्राप्त हुआ है। Jain Education International तपःसूर्या परम सरलमना महासती श्री हेमकुंवरजी म. आपने इस वर्ष गुरुदेव प्रवर्त्तक भण्डारी श्री पद्मचन्द्र जी म. के ७५वें वर्ष के अवसर पर भटिण्डा में ७५ दिन का दीर्घ तप करके जिन शासन की महती प्रभावना की है । शास्त्र प्रकाशन के कार्य में आपकी विशेष प्रेरणा रही है । आपकी सुशिष्या हैं - उपप्रवर्तिनी श्री रविरश्मिजी म., पौत्र शिष्या हैं-श्री प्रदीपरश्मि जी. म., श्री राकेशरश्मि जी म. तथा प्रपौत्र शिष्या हैं -श्री रजतरश्मि जी म. । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002912
Book TitleAgam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherAtmagyan Pith
Publication Year
Total Pages652
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_uttaradhyayan
File Size21 MB
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