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mile wide. It appears to be smiling due to the rays emitting from it. It is 5 very beautiful.
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२०. [ प्र. २ ] से केणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ-दाहिणहृभरहकूडे २ ?
In the centre of that palace there is a jewel-studded platform which is फ्र
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500 dhanush long, 500 dhanush wide and 250 dhanush thick and is फ्र completely studded with jewels. On that platform there is another
throne. Its detailed description can be seen at another place.
[प्र. ] कहि णं भंते ! दाहिणड्डूभरहकूडस्स देवस्स दाहिणड्डा णामं रायहाणी पण्णत्ता ?
[उ. ] गोयम ! मंदरस्स पव्वयस्स दक्खिणेणं तिरियमसंखेज्जदीवसमुद्दे वीईवइत्ता, अण्णंमि जंबुद्दीवे
दीवे दक्खिणं बारस जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता एत्थ ण दाहिणडभरहकूडस्स वेबस्स दाहिणडभरहा णामं
[उ. ] गोयमा ! दाहिणड्डभरहकूडे णं दाहिणहुभरहे णामं देवे महिड्डीए जाव पनिओवमट्ठिईए परिवसइ । से णं तत्थ चउन्हं सामाणिअसाहस्सीणं, चउन्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं, तिन्हं परिसाणं, सत्तण्हं अणियाणं, सत्तण्हं अणियाहिवईणं, सोलसण्हं आयारक्खदेवसाहस्सीणं दाहिणड्डभरहकूडस्स 5 दाहिणड्डा रायहाणी अण्णेसिं बहूणं देवाण य देवीण य जाव विहर।
रायहाणी भाणिअव्वा जहा विजयस्स देवस्स, एवं सव्वकूडा णेयब्वा (सूत्र १८ के समान) बेसमणकूडे
परोप्परं पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं, इमेसिं वण्णावासे । गाहा
5 पव्वयस्स दाहिणेणं तिरिअं असंखेज्जदीबसमुद्दे बीईवइत्ता अण्णंमि जंबुद्दीवे दीबे बारस जोअणसहस्साई
मणिभद्दकूडे १, वेअड्डकूडे २, पुण्णभटकूडे ३ - एए तिण्णि कूडा कणगामया, सेसा छप्पि रयणभया
मज्झ वेअड्ढस्स उ कणगमया तिण्णि होंति कूडा उ सेसा पब्ययकूडा सब्बे रयणामया
होंति ॥
दोहं विसरिसणायमा देवा कयमालए चैव णट्टमालए चैव, सेसाणं छणहं सरिसणामयाजण्णामया य कूडा
तन्नामा खलु हवंति ते देवा । पलिओवमद्विईया हवंति पत्तेयं पत्तेयं । रायहाणीओ जंबुहीबे दीवे मंदरस्स
ओगाहित्ता, एत्थ णं रायहाणीओ भाणिअब्बाओ विजयरायहाणीसरिसयाओ ।
२०. [प्र.२ ] भगवन् ! उसका नाम दक्षिणार्ध भरतकूट किस कारण पड़ा ?
[उ. ] गौतम ! दक्षिणार्ध भरतकूट पर अत्यन्त ऋद्धिशाली यावत् एक पल्योपम स्थिति वाला देव
रहता है। उसके चार हजार सामानिक देव, अपने परिवार से परिवृत्त चार अग्रमहिषियाँ, तीन परिषद्,
सात सेनाएँ, सात सेनापति तथा सोलह हज़ार आत्मरक्षक देव हैं। दक्षिणार्ध भरतकूट की दक्षिणार्धा
नामक राजधानी है, जहाँ वह अपने इस देव परिवार का तथा बहुत से अन्य देवों और देवियों का आधिपत्य करता हुआ सुखपूर्वक निवास करता है, विहार करता है-सुख भोगता है।
5 जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
[प्र. ] भगवन् ! दक्षिणार्ध भरतकूट नामक देव की दक्षिणार्धा नामक राजधानी कहाँ है ?
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Jambudveep Prajnapti Sutra
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