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their hands clasped. All of them are gem studded, pure, soft, slippery, well-rubbed, well-cut, dust free, mud free and beautiful.
In front of the said idols of Tirthankar there are 108 bells, 108 sandal pots, 108 small pitchers, mirrors, plates, small pots, special seats, Vatkarak, Chitrakark, ratna-karandak, ashva-kanth, vishabh-kanth, baskets of flowers, baskets containing peacock feathers, cloth woven of flowers, cloth made of peacock feathers and incense put. दक्षिणार्ध भरतकूट KOOT OF SOUTHERN HALF OF BHARAT
२०. [प्र. १ ] कहि णं भते ! वेअड्डे पव्वए दाहिणड्डभरहकूडे णामं कूडे पण्णत्ते ?
[उ. ] गोयमा ! खंडप्पवायकूडस्स पुरथिमेणं, सिद्धाययणकूडस्स पच्चत्थिमेणं, एत्थ णं वेअड्डपव्वए दाहिणड्डभरहकूडे णामं कूडे पण्णत्ते-सिद्धाययणकूडप्पमाणसरिसे (सूत्र १९ के समान)।
तस्स गं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे पासायवडिसए पण्णत्ते-कोसं उडुं उच्चत्तेणं, अद्धकोसं विक्खंभेणं, अब्भुग्गयमूसियपहसिए जाव पासाईए ४।
तस्स णं पासायवडंसगस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगा मणिपेढिआ पण्णत्ता-पंच धणुसयाई आयाम-विक्खंभेणं, अड्डाइजाहिं धणुसयाई बाहल्लेणं, सबमणिमई। तीसे णं मणिपेढिआए उप्पिं सिंहासणं पण्णत्तं, सपरिवार भाणियब्वं।
२०. [प्र. १ ] भगवन् ! वैताठ्य पर्वत का दक्षिणार्ध भरतकूट नामक कूट कहाँ है ?
[उ. ] गौतम ! खण्डप्रपातकूट के पूर्व में तथा सिद्धायतनकूट के पश्चिम में वैताढ्य पर्वत का दक्षिणार्ध भरतकूट है। उसका परिमाण आदि वर्णन सिद्धायतनकूट के बराबर है। (सूत्र १९ के समान)
दक्षिणार्ध भरतकूट के अति समतल, सुन्दर भूमिभाग में एक उत्तम प्रासाद है। वह एक कोस ऊँचा और आधा कोस चौड़ा है। अपने से निकलती प्रभामय किरणों से वह हँसता-सा प्रतीत होता है, बड़ा सुन्दर है।
उस प्रासाद के ठीक बीच में एक विशाल मणिपीठिका है। वह पाँच सौ धनुष लम्बी-चौड़ी तथा अढाई सौ धनुष मोटी है, सर्वरत्नमय है। उस मणिपीठिका के ऊपर एक सिंहासन है। उसका विस्तृत वर्णन अन्यत्र द्रष्टव्य है।
20. (Q. 1] Reverend Sir ! Where is Dakshinaardh Bharat koot of Vaitadhya mountain ? __[Ans.] Gautam ! In the east of Khand-prapaat koot and in the west of Sidhayatan koot, the Dakshinardh Bharat koot of Vaitadhya mountain is located. Its size and the like are similar to that of Sidhayatan koot (Sutra 19).
There is a beautiful palace in the extremely levelled beautiful land portion of Dakshinardh Bharat koot. It is two miles high and one
प्रथम वक्षस्कार
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First Chapter
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