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________________ நிமிமிமிதத***************************மிதி [उ.] गौतम ! इनमें सात करण चर तथा चार करण स्थिर हैं, जैसे- (9) बव, (२) बालव, (३) तथा कौलव, (४) स्त्रीविलोचन, (५) गरादि, (६) वणिज, तथा (७) विष्टि- ये सात करण चर हैं। एवं ये चार करण स्थिर हैं, जैसे- (१) शकुनि, (२) चतुष्पद, (३) नाग तथा ( ४ ) किंस्तुघ्न । [प्र. ३ ] भगवन् ! ये चर तथा स्थिर करण कब होते हैं ? [उ. ] गौतम ! शुक्ल पक्ष की एकम की रात में, बव करण होता है। दूज को दिन में बालव करण, रात में कौलव करण होता है। तीज को दिन में स्त्रीविलोचन करण होता है, रात में गरादि करण होता है । चौथ को दिन में वणिज करण, रात में विष्टि करण होता है। पाँचम को दिन में बव करण, रात में बालव करण होता है। छठ को दिन में कौलव करण, रात में स्त्रीविलोचन करण होता है । सातम को दिन में गरादि करण, रात में वणिज करण होता है। आठम को दिन में विष्टि करण, रात में बव करण होता है। नवम को दिन में बालव करण, रात में कौलव करण होता है। दसम को दिन में स्त्रीविलोचन करण, रात में गरादि करण होता है। ग्यारस को दिन में वणिज करण, रात में विष्टि करण होता है। बारस को दिन में बव करण, रात में बालव करण होता है। तेरस को दिन में कौलव करण, रात में स्त्रीविलोचन करण होता है। चौदस को दिन में गरादि करण, रात में वणिज करण होता है। पूनम को दिन में विष्टि करण, रात में बव करण होता है। कृष्ण पक्ष की एकम को दिन में बालव करण और रात में कौलव करण होता है। दूज को दिन में स्त्रीविलोचन करण, रात में गरादि करण होता है। तीज को दिन में वणिज करण, रात में विष्टि करण होता है । चौथ को दिन में बव करण, रात में बालव करण होता है । पाँचम को दिन में कौलव करण, रात में स्त्रीविलोचन करण होता है। छठ को दिन में गरादि करण, रात में वणिज करण होता है। सातम को दिन में विष्टि करण, रात को बव करण होता है । आठम को दिन में बालव करण, रात में कौलव करण होता है। नवम को दिन में स्त्रीविलोचन करण, रात में गरादि करण होता है। दसम को दिन में वणिज करण, रात में विष्टि करण होता है। ग्यारस को दिन में बव करण, रात में बालव करण होता है। बारस को दिन में कौलव करण, रात में स्त्रीविलोचन करण होता है। तेरस को दिन में गरादि करण, रात में वणिज करण होता है। चौदस को दिन में विष्टि करण, रात में शकुनि करण होता है। अमावस को दिन में चतुष्पद करण, रात में नाग करण होता है। शुक्ल पक्ष की एकम को दिन में किंस्तुघ्न करण होता है। 186. [Q. 1] Reverend Sir ! What is the number of Karanas ? [Ans.] Gautam ! Names are eleven. They are – ( 1 ) Bava, (2) Baalav, (3) Kaulav, (4) Strivilochan-Taitil, (5) Garadi-Gar, (6) Vanij, (7) Vishti, (8) Shakuni, (9) Chatushapad, (10) Naag, and (11) Kinstughna. [Q. 2] Reverend Sir ! Out of these eleven Karanas, how many are mobile and how many are inmobile ? [Ans.] Gautam ! Seven Karanas are mobile, four are immobile these are – (1) Bava, (2) Baalav, (3) Kaulav, ( 4 ) Strivilochan, (5) Garaadi, (6) Vanij and (7) Vishti — These seven Karanas are mobile; and जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र Jambudveep Prajnapti Sutra फ्र Jain Education International (530) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002911
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2006
Total Pages684
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_jambudwipapragnapti
File Size21 MB
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