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卐 [उ. ] इच्चेसा जम्बुद्दीवपण्णत्ती वत्थुसमासेण समत्ता भवइ ।
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१८३. [ प्र. ] भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य उदीचीन- प्राचीन उत्तर-पूर्व- ईशान कोण में
उदित होकर क्या प्राचीन - दक्षिण-पूर्व-दक्षिण-आग्नेय कोण में आते हैं, अस्त होते हैं ? क्या
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5 उदित होकर पश्चिमोत्तर वायव्य कोण में अस्त होते हैं, क्या वायव्य कोण में उदित होकर उत्तर- फ्र पूर्व- ईशान कोण में अस्त होते हैं ?
[ उ. ] हाँ, गौतम ! ऐसा ही होता है। भगवतीसूत्र के 'णेव अत्थि ओसप्पिणी, अवट्ठिए णं तत्थ काले पण्णत्ते' पर्यन्त जो
समझ लेना चाहिए।
आग्नेय कोण में उदित होकर दक्षिण-पश्चिम- नैऋत्य कोण में अस्त होते हैं, क्या नैऋत्य कोण में 5
आयुष्मन् श्रमण गौतम ! जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति उपांग के अन्तर्गत प्रस्तुत सूर्य सम्बन्धी वर्णन यहाँ संक्षेप में समाप्त होता है ।
पंचम शतक के प्रथम उद्देशक में
[प्र.] भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो चन्द्रमा उत्तर-पूर्व- ईशान कोण में उदित होकर पूर्वदक्षिण - आग्नेय कोण में अस्त होते हैं- इत्यादि वर्णन भगवतीसूत्र के पंचम शतक के दशम उद्देशक
से जान लेना चाहिए ।
वर्णन आया है, उसे इस सन्दर्भ में
[उ. ] आयुष्मन् गौतम ! जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति उपांग के अन्तर्गत प्रस्तुत चन्द्र सम्बन्धी वर्णन यहाँ संक्षेप में समाप्त होता है।
[Ans.] Yes, Gautam ! It is correct. The description as mentoned upto 'Nev atthi osappini avatthiye num tatth kaley pannattey' in the first Uddeshak of Fifth Shatak of Bhagavati Sutra should be understood in this context.
Here the description relating to the sun as mentioned in Jambudveep Prajnapti is concluded in brief.
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183. [Q.] Reverend Sir ! Do the two suns in Jambu island rise in the 5 north-east travel to the south and set in south-east? Do they rise in south-east and then move to the west and set in south-west? Do they rise in south-west and then set in north-west ? Do they rise in north- 5 west and set in north-east ?
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[Ans.] Long lived Gautam ! This concludes the brief description of moon in Jambudveep Prajnapti.
जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
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Jambudveep Prajnapti Sutra
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[Q.] Reverend Sir ! In Jambudveep two moons rise from north-east 5 and set in south-east all these details should be read from the tenth Uddeshak of the fifth Shatak of Bhagavati Sutra.
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