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________________ 19595555555555555555555555558 牙牙牙牙牙牙牙牙55555555555555555555555555555555555555559 १८०. [प्र. १] भगवन् ! सर्वाभ्यन्तर चन्द्र-मण्डल की लम्बाई, चौड़ाई तथा परिधि कितनी है? [उ. ] गौतम ! सर्वाभ्यन्तर चन्द्र-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई ९९,६४० योजन तथा उसकी परिधि ___ कुछ अधिक ३,१५,०८९ योजन है। [प्र. २ ] भगवन् ! द्वितीय आभ्यन्तर चन्द्र-मण्डल की लम्बाई, चौड़ाई तथा परिधि कितनी है ? । [उ.] गौतम ! द्वितीय आभ्यन्तर चन्द्र-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई ९९,७१२५१ योजन तथा ६१ ॐ भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के ७ भागों में से १ भाग योजनांश तथा उसकी परिधि कुछ अधिक ३,१५,३१९ योजन है। [प्र. ३ ] भगवन् ! तृतीय आभ्यन्तर चन्द्र-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई तथा परिधि कितनी है? [उ. ] गौतम ! तृतीय आभ्यन्तर चन्द्र-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई ९९,७८५६० योजन तथा ६१ भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के ७ भागों में से २ भाग योजनांश एवं उसकी परिधि कुछ 卐 अधिक ३,१५,५४९ योजन है। इस क्रम से निष्क्रमण करता हुआ चन्द्र (एक मण्डल से दूसरे मण्डल पर संक्रमण करता हुआ) के प्रत्येक मण्डल पर ७२५१ योजन तथा ६१ भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के ७ भागों में से १ भाग योजनांश विस्तारवृद्धि करता हुआ तथा २३० योजन परिधिवृद्धि करता हुआ सर्वबाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है। ___ [प्र. ४ ] भगवन् ! सर्वबाह्य चन्द्र-मण्डल की लम्बाई, चौड़ाई तथा परिधि कितनी है ? [उ.] गौतम ! सर्वबाह्य चन्द्र-मण्डल की लम्बाई, चौड़ाई १,००,६६० योजन तथा उसकी परिधि ३,१८,३१५ योजन है। [प्र. ५ ] भगवन् ! द्वितीय बाह्य चन्द्र-मण्डल की लम्बाई, चौड़ाई तथा परिधि कितनी है ? [उ. ] गौतम ! द्वितीय बाह्य चन्द्र-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई १,००,५८७१, योजन तथा ६१ भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के ७ भागों में से ६ भाग योजनांश तथा उसकी परािधे ३,१८,०८५ योजन है। [प्र. ६ ] भगवन् ! तृतीय बाह्य चन्द्र-मण्डल की लम्बाई, चौड़ाई तथा परिधि कितनी है ? [उ. ] गौतम ! तृतीय बाह्य चन्द्र-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई १,००,५१४११ योजन तथा ६१ भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के ७ भागों में से ५ भाग योजनांश तथा उसकी परिधि ३,१७,८५५ योजन बतलाई गई है। इस क्रम से प्रवेश करता हुआ चन्द्र पूर्व मण्डल से उत्तर मण्डल का संक्रमण करता हुआ प्रत्येक मण्डल पर ७२५१ योजन तथा ६१ भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के ७ भागों में से १ भाग योजनांश विस्तारवृद्धि कम करता हुआ तथा २३० योजन परिधिवृद्धि कम करता हुआ सर्वाभ्यन्तर मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है। 85955555555555555555555555))))))))))))))))58 | सप्तम वक्षस्कार (507) Seventh Chapter Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002911
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2006
Total Pages684
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_jambudwipapragnapti
File Size21 MB
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