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________________ ) )) ) 8555555555555555555555555555555555555 [प्र. १२ ] भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत हैमवत एवं हैरण्यवत क्षेत्र में कितनी महानदियाँ हैं ? _ [उ. ] गौतम ! चार महानदियाँ हैं-(१) रोहिता, (२) रोहितांशा, (३) सुवर्णकूला, तथा (४) । रूप्यकूला। वहाँ इनमें से प्रत्येक महानदी में अट्ठाईस-अट्ठाईस हजार नदियाँ मिलती हैं। वे उनसे आपूर्ण होकर पूर्वी एवं पश्चिमी लवणसमुद्र में मिलती हैं। हैमवत में रोहिता पूर्वी लवणसमुद्र में तथा रोहितांशा पश्चिमी लवणसमुद्र में मिलती है। हैरण्यवत में सुवर्णकूला पूर्वी लवणसमुद्र में तथा रूप्यकूला पश्चिमी लवणसमुद्र में मिलती हैं। इस प्रकार जम्बूद्वीप के अन्तर्गत हैमवत तथा हैरण्यवत क्षेत्र में कुल २८,००० x ४ = १,१२,००० (एक लाख बारह हजार) नदियाँ हैं, ऐसा बतलाया गया है। 4 [प्र. १३ ] भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत हरिवर्ष तथा रम्यकवर्ष में कितनी महानदियाँ हैं ? + [उ.] गौतम ! चार महानदियाँ हैं-(१) हरिसलिला, (२) हरिकान्ता, (३) नरकान्ता, तथा (४) नारीकान्ता। वहाँ इनमें से प्रत्येक महानदी में छप्पन छप्पन हजार नदियाँ मिलती हैं। उनसे आपूर्ण होकर ॐ वे पूर्वी तथा पश्चिमी लवणसमुद्र में मिल जाती हैं। हरिवर्ष में हरिसलिला पूर्वी लवणसमुद्र में तथा ॥ + हरिकान्ता पश्चिमी लवणसमुद्र में मिलती हैं। रम्यकवर्ष में नरकान्ता पूर्वी लवणसमुद्र में तथा नारीकान्ता : * पश्चिमी लवणसमुद्र में मिलती हैं। यों जम्बूद्वीप के अन्तर्गत हरिवर्ष तथा रम्यकवर्ष में कुल ५६,००० ४ ४ = २,२४,००० (दो लाख चौबीस हजार) नदियाँ हैं।। [प्र. १४ ] भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में कितनी महानदियाँ हैं ? __ [उ. ] गौतम ! दो महानदियाँ हैं-(१) शीता, एवं (२) शीतोदा। वहाँ उनमें से प्रत्येक महानदी में पाँच लाख बत्तीस हजार नदियाँ मिलती हैं। उनसे आपूर्ण होकर वे पूर्वी तथा पश्चिमी लवणसमुद्र में मिल जाती हैं। शीता पूर्वी लवणसमुद्र में तथा शीतोदा पश्चिमी लवणसमुद्र में मिलती है। इस प्रकार के जम्बूद्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में कुल ५,३२,००० x २ = १०,६४,००० (दस लाख चौंसठ हजार) नदियाँ हैं। 卐 [प्र. १५ ] भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत मन्दर (मेरु) पर्वत के दक्षिण में कितने लाख नदियाँ * पूर्वाभिमुख एवं पश्चिमाभिमुख होती हुई लवणसमुद्र में मिलती हैं ? [उ. ] गौतम ! १,९६,००० (एक लाख छियानवे हजार) नदियाँ पूर्वाभिमुख एवं पश्चिमाभिमुख होती हुई लवणसमुद्र में मिलती हैं। म [प्र. १६ ] भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत मन्दर पर्वत के उत्तर में कितने लाख नदियाँ पूर्वाभिमुख म एवं पश्चिमाभिमुख होती हुई लवणसमुद्र में मिलती हैं ? ॐ [उ. ] गौतम ! १,९६,००० (एक लाख छियानवे हजार) नदियाँ पूर्वाभिमुख एवं पश्चिमाभिमुख म होती हुई लवणसमुद्र में मिलती हैं। [ [प्र. १७ ] भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत कितने लाख नदियाँ पूर्वाभिमुख होती हुई लवणसमुद्र में मिलती हैं ? + [उ. ] गौतम ! ७,२८,००० (सात लाख अट्ठाईस हजार) नदियाँ पूर्वाभिमुख होती हुई लवणसमुद्र में मिलती हैं। (455) Sixth Chapter 卐卐555555555555555555555555555555555595 听听听听听听$$$$$ $$$$ 5555555555555555555555555555555555 षष्ठ वक्षस्कार (455) Sixth Chapter Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002911
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2006
Total Pages684
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_jambudwipapragnapti
File Size21 MB
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