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சுமிதிததமி***தத*********************பூத
lasting for many years. After spending their life-span some re-incarnate
in hell, some in sub-human state, some in human state and some as celestial beings. Some become liberated and attain salvation and thus bring a total end of all their miseries.
वैताढ्य पर्वत VAITADHYA PARVAT
१२. [ प्र. ] कहि णं भंते! जंबुद्दीवे दीवे भरहे वासे वेयड्ढे णामं पव्वए पण्णत्ते ?
[ उ. ] गोयमा ! उत्तरद्धभरहवासस्स दाहिणेणं, दाहिणभरहवासस्स उत्तरेणं, पुरत्थिमलवणसमुद्दस्स पच्चत्थिमेणं, पच्चत्थिमलवणसमुद्दस्स पुरत्थिमेण एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे भरहे वासे वेअड्ढे णामं पव्वए पण्णत्ते - पाईणपडीणाय, उदीणदाहिणवित्थिण्णे, दुहा लवणसमुद्धं पुट्ठे पुरत्थिमिल्लाए कोडीए पुरथिमिल्लं लवणसमुद्दे पुट्ठे, पच्चत्थिमिल्लाए कोडीए पच्चत्थिमिल्लं लवणसमुदं पुट्टे, पणवीसं जोयणाई उडूढं उच्चत्तेणं छस्सकोसाई जोअणाई उब्वेहेणं, पण्णासं जोअणाइं विक्खंभेणं, तस्स बाहा पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं चत्तारि अट्ठासीए जोयणसए सोल य एगूणवीसइभागे जोअणस्स अद्धभागं च 5 आयामेणं पण्णत्ता । तस्स जीवा उत्तरेणं पाईणपडीणायया, दुहा लवणसमुदं पुट्ठा, पुरत्थिमिल्लाए कोडीए पुरथिमिल्लं लवणसमुदं पुट्ठा, पच्चत्थिमिल्लाए कोडीए पच्चत्थिमिल्लं लवणसमुदं पुट्ठा, दस 5 जोयणसहस्साइं सत्त य वीसे जोअणसए दुवालस य एगूणवीसइभागे जोअणस्स आयामेणं, तीसे धणुपुट्टे
दाहिणं दस जोअणसहस्साइं सत्त य तेआले जोयणसए पण्णरस य एगूणवीसइभागे जोयणस्स परिक्खेवेणं, रुअगसंटाणसंठिए, सव्वरययामए, अच्छे, सण्हे, लट्ठे, घट्टे, मट्ठे, णीरए, णिम्मले, 5 णिप्पंके, णिक्कंकडच्छाए, सप्पभे, समिरीए, पासाईए, दरिसणिज्जे, अभिरूवे, पडिरूवे ।
उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइयाहिं दोहिं अ वणसंडेहिं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते । ताओ णं पउमवरवेइयाओ अद्धजोयणं उड्ढं उच्चत्तेणं, पंचधणुसयाई विक्खंभेणं, पव्वयसमियाओ आयामेणं वण्णओ भाणियव्वो । ते णं वणसंडा देसूणाई जोअणाइं विक्खंभेणं, पउमवरवेइयासमगा आयामेणं, किण्हा, * किण्होभासा जाव वण्णओ।
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१२. [प्र.] भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत भरत क्षेत्र में वैताढ्य नामक पर्वत कहाँ पर है ?
[उ.] गौतम ! उत्तरार्ध भरत क्षेत्र के दक्षिण में, दक्षिणार्ध भरत क्षेत्र के उत्तर में, पूर्व लवण समुद्र
के पश्चिम में, पश्चिम लवण समुद्र के पूर्व में जम्बूद्वीप के अन्तर्गत भरत क्षेत्र में वैताढ्य पर्वत है। वह
5 पूर्व-पश्चिम में लम्बा तथा उत्तर-दक्षिण में चौड़ा है। वह दो ओर से लवण समुद्र का स्पर्श किये हुए है। फ्र
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5 जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
अपने पूर्वी किनारे से पूर्व लवण समुद्र का तथा पश्चिमी किनारे से पश्चिम लवण समुद्र का स्पर्श किये 5
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फ हुए है। वह पच्चीस योजन ऊँचा है और सवा छह योजन जमीन में गहरा है। वह पचास योजन लम्बा है।
इसकी बाहा -दक्षिणोत्तर वक्र आकाश प्रदेशपंक्ति, पूर्व-पश्चिम में ४८८१६ योजन की है। उत्तर वैताढ्य पर्वत की जीवा पूर्व तथा पश्चिम दो ओर से लवण समुद्र का स्पर्श किये हुए है। वह पूर्वी किनारे से पूर्व लवण समुद्र का तथा पश्चिमी किनारे से पश्चिम लवण समुद्र का स्पर्श किये हुए जीवा १०,७२०१३ योजन लम्बी है। दक्षिण में उसकी धनुष्य-पीठिका की परिधि १०,७४३५ योजन 5
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4955 5 5959595959555595959595555959595959595555959595695 96 95 96 95 95
है।
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Jambudveep Prajnapti Sutra
25 55 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5555 5 55 5 5 5 5 5 52
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