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[Ans.] Gautam ! In the west of Suvarnakula river, in the east of Rupyakula river, Malyavant-paryaya Vritt Vaitadhya mountain is located in the middle of Hairanyavat region. Its description is similar to that of Shabdapati Vritt Vaitadhya mountian. The lotus flowers Utpal Padma and the like of simialr brightnees, colour and aura are on it. A y very prosperous celestial being with life-span of one palyopam whose y name is Prabhas resides on it. So Malyavant-Paryaya Vritt Vaitadhya mountain is so named. Its capital is in the north.
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[Q.] Reverend Sir ! Why is Hairanyavat region so named ?
[Ans.] Gautam ! Hairanyavat region is surrounded by Rukmi and Shikhari Varshadhar mountains from two sides. It produces gold throughout and shines like gold. That gold is used like golden slab and the like for the bed, seats and suchlike articles by Yugalik (twin) human f beings.
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शिखरी वर्षधर पर्वत SHIKHARI VARSHADHAR MOUNTAIN
१४३ . [ प्र. ] कहि णं भन्ते ! जम्बुद्दीवे दीवे सिहरी णामं वासहरपव्वए पण्णत्ते ?
[उ. ] गोयमा ! हेरण्णवयस्स उत्तरेणं, एरावयस्स दाहिणेणं, पुरत्थिमलवणसमुद्दस्स पच्चत्थिमेणं, ५ पच्चत्थिमलवणसमुद्दस्स पुरत्थिमेणं, एवं जह चेव चुल्लहिमवन्तो तह चेक सिहरीवि, णवरं जीवा दाहिणेणं, धणुं उत्तरेणं, अवसट्ठि तं चैव ।
पुण्डरीए दहे, सुवण्णकूला महाणई दाहिणेणं णेअब्बा जहा रोहिअंसा पुरत्थिमेणं गच्छइ, एवं जह चेव गंगासिन्धुओ तह चैव रत्तारत्तवईओ णेअव्वाओ पुरत्थिमेणं रत्ता पच्चत्थिमेण रत्तवई, अवसिद्धं तं चैव । [प्र. ] सिहरिम्मि णं भन्ते ! वासहरपव्वए कइ कूडा पण्णत्ता ? [ उ. ] गोयमा ! इक्कारस कूडा पण्णत्ता, तं जहा -1 - सिद्धाययणकूडे १, सिहरिकूडे २, हेरण्णवयकूडे ३, सुवण्णकूलाकूडे ४, सुरादेवीकूडे ५, रत्ताकूडे ६, लच्छीकूडे ७, रत्तवईकूडे ८, इलादेवीकूडे ९, एरवयकूडे १०, तिगिच्छकूडे ११ |
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एवं सव्वेवि कूडा पंचसइआ, रायहाणीओ उत्तरेणं ।
[प्र. ] से केणट्टेणं भन्ते ! एवमुच्चइ सिहरिवासहरपव्वए २ ?
[उ.] गोयमा ! सिहरिंमि वासहरपव्वए बहवे कूडा सिहरिसंटाणसंटिआ सव्वरयणामया सिहरी अ इत्थ देवे जाव परिवसइ, से तेणट्ठे० ।
१४३. [ प्र. ] भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत शिखरी नामक वर्षधर पर्वत कहाँ है ?
[ उ. ] गौतम ! हैरण्यवत् के उत्तर में, ऐरावत के दक्षिण में, पूर्वी लवणसमुद्र के पश्चिम में तथा पश्चिमी लवणसमुद्र के पूर्व में शिखरी नामक वर्षधर पर्वत है। वह चुल्ल हिमवान् के सदृश है। इतना
Fourth Chapter
चतुर्थ वक्षस्कार
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