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उप्पलाई पउमाई मालवन्तप्पभाई मालवन्तवण्णाई मालवन्तवण्णाभाई पभासे अ इत्थ देवे महिड्डीए जाव पओिवमट्ठिईए परिवसइ, से एएणट्टेणं., रायहाणी उत्तरेति ।
[प्र. ] से केणट्टेणं भन्ते ! एवं बुच्चइ - हेरण्णवए वासे २ ?
[उ. ] गोयमा ! हेरण्णवए णं वासे रुप्पीसिहरीहिं वासहरपव्यएहिं दुहओ समवगूढे, णिच्चं हिरण्णं दलइ, णिच्चं हिरण्णं मुंचइ, णिच्चं हिरण्णं पगासइ, हेरण्णवए अ इत्थ देवे परिवसइ से एएणट्टेणंति । १४२. [ प्र. ] भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत हैरण्यवत् क्षेत्र कहाँ पर स्थित है ?
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[उ.] गौतम ! रुक्मी नामक वर्षधर पर्वत के उत्तर में, शिखरी नामक वर्षधर पर्वत के दक्षिण में, पूर्वी लवणसमुद्र के पश्चिम में तथा पश्चिमी लवणसमुद्र के पूर्व में जम्बूद्वीप के अन्तर्गत हैरण्यवत् क्षेत्र ५ है । जैसा हैमवत् का वर्णन है, वैसा ही हैरण्यवत् क्षेत्र का समझना चाहिए। इतना अन्तर है उसकी जीवा दक्षिण में है, धनुपृष्ठभाग उत्तर में है। बाकी का सारा वर्णन हैमवत्-सदृश है।
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[प्र. ] भगवन् ! हैरण्यवत् क्षेत्र में माल्यवंतपर्याय नामक वृत्त वैताढ्य पर्वत कहाँ पर है ?
[उ. ] गौतम ! सुवर्णकूला महानदी के पश्चिम में, रूप्यकूला महानदी के पूर्व में हैरण्यवत् क्षेत्र के ५ बीचोंबीच माल्यवंतपर्याय नामक वृत्त वैताढ्य पर्वत है। जैसा शब्दापाती वृत्त वैताढ्य पर्वत का वर्णन है, वैसा ही माल्यवंतपर्याय वृत्तवैताढ्य पर्वत का है। उस पर उस जैसे प्रभायुक्त, वर्णयुक्त, आभायुक्त उत्पल ५ तथा पद्म आदि हैं। वहाँ परम ऋद्धिशाली, एक पल्योपम की आयुष्य वाला प्रभास नामक देव निवास 5
करता है। इन कारणों से वह माल्यवंतपर्याय वृत्तवैताढ्य कहा जाता है। राजधानी उत्तर में है।
[ प्र. ] भगवन् ! हैरण्यवत् क्षेत्र इस नाम से किस कारण कहा जाता है ?
[ उ. ] गौतम ! हैरण्यवत् क्षेत्र रुक्मी तथा शिखरी नामक वर्षधर पर्वतों से दो ओर से घिरा हुआ है । वह नित्य हिरण्य - स्वर्ण देता है, नित्य स्वर्ण छोड़ता है, नित्य स्वर्ण प्रकाशित करता है, जो स्वर्णमय शिलापट्टक आदि के रूप में वहाँ यौगलिक मनुष्यों के शय्या, आसन आदि उपकरणों के रूप में उपयोग आता है, वहाँ हैरण्यवत् नामक देव निवास करता है, इसलिए वह हैरण्यवत् क्षेत्र कहा जाता है।
142 [Q.] Reverend Sir ! In Jambu continent, where is Hairanyavat region located?
[Q] Reverend Sir ! In Hairanyavat region where is Malyavant - paryaya Vritt Vaitadhya mountain?
जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
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[Ans.] Gautam ! In the north of Rukmi Varshadhar mountain, in the 5 south of Shikhari Varshadhar mountain, in the west of eastern Lavan Ocean, in the east of western Lavan Ocean, Hairanyavat region is located in Jambu continent. Its description is the same as that of Haimavat region. The only difference is that its ridge is in the south and the circular back portion is in the north. The remaining description is like Haimavat.
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Jambudveep Prajnapti Sutra
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