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पच्चत्थिमिल्लस्स भवणस्स दक्खिणेणं दाहिण -पच्चत्थिमिल्लस्स पासायवडेंसगस्स उत्तरेणं रययकूडे सुवच्छा देवी, रायहाणी पच्चत्थिमेणं ५ ।
पच्चत्थिमिल्लस्स भवणस्स उत्तरेणं, उत्तर-पच्चत्थिमिल्लस्स पासायवडेंसगस्स दक्खिणेणं रुअगे कूडे वच्छमित्ता देवी, रायहाणी पच्चत्थिमेणं ६ |
उत्तरिल्लस्स भवणस्स पच्चत्थिमेणं, उत्तर-पच्चत्थिमिल्लस्स पासायवडेंसगस्स पुरत्थिमेणं सागरचित्ते कूडे वइरसेणा देवी, रायहाणी उत्तरेणं ७ ।
उत्तरिल्लस्स भवणस्स पुरत्थिमेणं, उत्तर-पुरत्थिमिल्लस्स पासायवडेंसगस्स पच्चत्थिमेणं वइरकूडे बलाया देवी, रायहाणी उत्तरेणंति ८ ।
[प्र. ] कणि णं भन्ते ! णन्दणवणे बलकूडे णामं कूडे पण्णत्ते ?
[ उ. ] गोयमा ! मन्दरस्स पव्वयस्स उत्तरपुरत्थिमेणं एत्थ णं णन्दणवणे बलकूडे णामं कूडे पण्णत्ते । एवं जं चैव हरिस्तहकूडस्स पमाणं रायहाणी अ तं चैव बलकूडस्सवि, णवरं बलो देवो,
रायहाणी
उत्तरपुरत्थिमेति ।
१३३ . [ प्र. ] भगवन् ! मन्दर पर्वत पर नन्दन वन नामक वन कहाँ पर है ?
[ उ. ] गौतम ! भद्रशाल वन के बहुत समतल एवं रमणीय भूमिभाग से पाँच सौ योजन ऊपर जाने
पर मन्दर पर्वत पर नन्दन वन नामक वन आता है। चक्रवालविष्कम्भ परिधि के सब ओर से समान विस्तार की अपेक्षा से वह (गोलाई में ) ५०० योजन है। उसका आकार वलय-कंकण के सदृश है, सघन नहीं है, मध्य में वलय की ज्यों रिक्त (खाली) है। वह (नन्दन वन) मन्दर पर्वतों को चारों ओर से घेरे हुए है।
नन्दन वन के बाहर मेरु पर्वत का विस्तार ९, ९५४६, योजन है। नन्दन वन से बाहर उसकी परिधि कुछ अधिक ३१,४७९ योजन है। नन्दन वन के भीतर उसका विस्तार ८,९४४, योजन है। उसकी परिधि २८,३१६, योजन है । वह एक पद्मवरवेदिका द्वारा तथा एक वनखण्ड द्वारा चारों ओर परिवेष्टित है। वहाँ देव-देवियाँ आश्रय लेते हैं - इत्यादि सारा वर्णन पूर्वानुसार है।
मन्दर पर्वत के पूर्व में एक विशाल सिद्धायतन है। ऐसे चारों दिशाओं में चार सिद्धायतन हैं। विदिशाओं में-ईशान, आग्नेय आदि कोणों में पुष्करिणियाँ हैं, सिद्धायतन, पुष्करिणियाँ तथा उत्तम प्रासाद तथा शक्रेन्द्र, ईशानेन्द्र-सम्बन्धी वर्णन पूर्ववत् है ।
[प्र. ] भगवन् ! नन्दन वन में कितने कूट हैं ?
[उ.] गौतम ! वहाँ नौ कूट हैं - ( १ ) नन्दनवनकूट, (२) मन्दरकूट, (३) निषधकूट, (४) हैमवतकूट, (५) रजतकूट, (६) रुचककूट, (७) सागरचित्रकूट, (८) वज्रकूट, तथा (९) बलकूट ।
[ प्र. ] भगवन् ! नन्दन वन में नन्दनवनकूट नामक कूट कहाँ पर है ?
[ उ. ] गौतम ! मन्दर पर्वत पर पूर्व दिशावर्ती सिद्धायतन के उत्तर में, ईशान कोणवर्ती उत्तम के दक्षिण में नन्दन वन में नन्दनवनकूट नामक कूट है। ये सभी कूट ५०० योजन ऊँचे हैं।
प्रासाद
जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
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Jambudveep Prajnapti Sutra
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