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________________ फफफफफफफफफफफ 卐 फ्र एवं पलासे विदिसाहत्थिकूडे मन्दरस्त उत्तरपच्चत्थिमिल्लाए सीओआए उत्तरेणं, एअस्सविला देवो, रायहाणी उत्तरपच्चत्थिमेणं ६ । एवं वडेंसे विदिसाहत्थिकूडे मन्दरस्स उत्तरपच्चत्थिमेणं उत्तरिल्लाए सीआए महाणईए पच्चत्थिमेणं । एअस्सवि वडेंसो देवो, रायहाणी उत्तरपच्चत्थिमेणं । एवं रोअणागिरी दिसाहत्थिकडे मंदरस्स उत्तरपुरत्थिमेणं, उत्तरिल्लाए सीआए पुरत्थिमेणं । एयस्सवि अणागिरी देवो, रायहाणी उत्तरपुरत्थिमेणं । १३२. [ प्र. ३ ] भगवन् ! मन्दर पर्वत पर भद्रशाल वन में दिशाहस्तिकूट - हाथी के आकार के शिखर कितने हैं ? [ उ. ] गौतम ! वहाँ आठ दिग्हस्तिकूट हैं (१) पद्मोत्तर, (२) नीलवान्, (३) सुहस्ती, (४) अंजनगिरि, (५) कुमुद, (६) पलाश, (७) अवतंस, तथा (८) रोचनागिरि । [प्र. ] भगवन् ! मन्दर पर्वत पर भद्रशाल वन में पद्मोत्तर नामक दिग्हस्तिकूट कहाँ पर है ? ! [ उ. ] गौतम ! मन्दर पर्वत के उत्तर-पूर्व में - ईशान कोण में तथा पूर्व सीता महानदी के उत्तर में पद्मोत्तर नामक दिग्हस्तिकूट है। वह ५०० योजन ऊँचा तथा ५०० कोस जमीन में गहरा है। चौड़ाई तथा परिधि चुल्लहिमवान् पर्वत के समान है । प्रासाद आदि पूर्ववत् हैं । वहाँ पद्मोत्तर नामक देव निवास करता है । उसकी राजधानी उत्तर-पूर्व में - ईशान कोण में है । नीलवान् नामक दिग्हस्तिकूट मन्दर पर्वत के दक्षिण-पूर्व में- आग्नेय कोण में तथा पूर्व दिशागत सीता महानदी के दक्षिण में है । वहाँ नीलवान् नामक देव निवास करता है। उसकी राजधानी आग्नेय कोण में है । सुहस्ती नामक दिग्हस्तिकूट मन्दर पर्वत के दक्षिण-पूर्व में आग्नेय कोण में तथा दक्षिण - दिशागत सीतोदा महानदी के पूर्व में है । वहाँ सुहस्ती नामक देव निवास करता है । उसकी राजधानी आग्नेय कोण में है । अंजनगिरि नामक दिग्हस्तिकूट मन्दर पर्वत के दक्षिण-पश्चिम में नैऋत्य कोण में तथा दक्षिणदिशागत सीतोदा महानदी के पश्चिम में है। अंजनगिरि नामक उसका अधिष्ठायक देव है। उसकी राजधानी दक्षिण-पश्चिम में है । उसकी कुमुद नामक विदिशागत हस्तिकूट मन्दर पर्वत के दक्षिण-पश्चिम में - नैऋत्य कोण में तथा पश्चिम - दिग्वर्ती सीतोदा महानदी के दक्षिण में है । वहाँ कुमुद नामक देव निवास करता है। उसकी राजधानी दक्षिण-पश्चिम में नैऋत्य कोण में है । पलाश नामक विदिग्हस्तिकूट मन्दर पर्वत के उत्तर-पश्चिम में - वायव्य कोण में एवं पश्चिम दिग्वर्ती सीतोदा महानदी के उत्तर में है । वहाँ पलाश नामक देव निवास करता है। उसकी राजधानी उत्तर-पश्चिम में है । चतुर्थ वक्षस्कार (367) Jain Education International For Private & Personal Use Only Fourth Chapter - 5 5 5 5 5 5 55 5 5 5 5 5 5 5 5 5 55 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 55 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 55 5 5 5 卐 2 55 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 55 5 5 5 5 5 - 卐 www.jainelibrary.org
SR No.002911
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2006
Total Pages684
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_jambudwipapragnapti
File Size21 MB
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