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रायहाणीओ, तं जहा- १. सुसीमा, २. कुण्डला चेव, ३. अवराइअ, ४. पहंकारा।
५. अंकावई, ६. पम्हावई, ७. सुभा, ८. रयणसंचया॥ ___वच्छस्स विजयस्स णिसहे दाहिणेणं, सीआ उत्तरेणं, दाहिणिल्ल-सीदामुहवणे पुरथिमेणं, तिउडे
पच्चत्थिमेणं, सुसीमा रायहाणी पमाणं तं चेवेति। ___ वच्छाणंतरं तिउडे, तओ सुवच्छे विजए, एएणं कमेणं तत्तजला णई, महावच्छे विजए वेसमणकूड़े वक्खारपव्वए, वच्छावई विजए, मत्तजला गई, रम्मे विजए, अंजणे वक्खारपव्वए, रम्मए विजए, उम्मत्तजला णई रमणिज्जे विजए, मायंजणे वक्खारपब्बए मंगलावई विजए।
१२४. [प्र. ] भगवन् ! जम्बू द्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में वत्स नामक विजय कहाँ है? __ [उ. ] गौतम ! निषध वर्षधर पर्वत के उत्तर में, सीता महानदी के दक्षिण में, दक्षिणी शीतामुख वन ॐ के पश्चिम में, त्रिकूट वक्षस्कार पर्वत के पूर्व में जम्बूद्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में वत्स नामक
विजय है। उसका प्रमाण पूर्ववत् है। उसकी सुसीमा नामक राजधानी है। त्रिकूट वक्षस्कार पर्वत पर सुवत्स नामक विजय है। उसकी कुण्डला नामक राजधानी है। वहाँ तप्तजला नामक नदी है। महावत्स विजय की अपराजिता नामक राजधानी है। वैश्रवणकूट वक्षस्कार पर्वत पर वत्सावती विजय है। उसकी प्रभंकरा नामक राजधानी है। वहाँ मत्तजला नामक नदी है। रम्य विजय की अंकावती नामक राजधानी
है। अंजन वक्षस्कार पर्वत पर रम्यक विजय है। उसकी पद्मावती नामक राजधानी है। वहाँ उन्मत्तजला क नामक महानदी है। रमणीय विजय की शुभा नामक राजधानी है। मातंजन वक्षस्कार पर्वत पर
मंगलावती विजय है। उसकी रत्नसंचया नामक राजधानी है। ___ सीता महानदी का जैसा उत्तरी पार्श्व है, वैसा ही दक्षिणी पार्श्व है। उत्तरी शीतामुख वन की ज्यों दक्षिणी शीतामुख वन है। वक्षस्कार कूट इस प्रकार हैं-(१) त्रिकूट, (२) वैश्रवण कूट, (३) अंजन कूट, (४) मातंजन कट। [नदियाँ-(१) तप्तजला, (२) मत्तजला. तथा (३) उन्मत्तजला।] ____ विजय इस प्रकार हैं-(१) वत्स विजय, (२) सुवत्स विजय, (३) महावत्स विजय, (४) वत्सकावती विजय, (५) रम्य विजय, (६) रम्यक विजय, (७) रमणीय विजय, तथा (८) मंगलावती विजय।
राजधानियाँ इस प्रकार हैं-(१) सुसीमा, (२) कुण्डला, (३) अपराजिता, (४) प्रभंकरा, 9 (५) अंकावती, (६) पद्मावती, (७) शुभा, तथा (८) रत्नसंचया। मी वत्स विजय के दक्षिण में निषध पर्वत है, उत्तर में सीता महानदी है, पूर्व में दक्षिणी शीतामुख वन है ॐ तथा पश्चिम में त्रिकूट वक्षस्कार पर्वत है। उसकी सुसीमा राजधानी है, जिसका प्रमाण, वर्णन विनीता 卐के सदृश है। ॐ वत्स विजय के अनन्तर त्रिकूट पर्वत, तदनन्तर सुवत्स विजय, इसी क्रम से तप्तजला नदी, महावत्स
विजय, वैश्रवण कूट वक्षस्कार पर्वत, वत्सावती विजय, मत्तजला नदी, रम्य विजय, अंजन वक्षस्कार
पर्वत, रम्यक विजय, उन्मत्तजला नदी, रमणीय विजय, मातंजन वक्षस्कार पर्वत तथा मंगलावती विजय 卐 हैं। (महाविदेह का समग्र स्वरूप संलग्न चित्र में देखें।)
चतुर्थ वक्षस्कार
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Fourth Chapter
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