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के पास योजन चौड़ा रह जाता है। वह काले, नीले आदि पत्तों से युक्त होने से वैसी आभा लिए है। उससे + बड़ी सुगन्ध फूटती है, देव-देवियाँ उस पर आश्रय लेते हैं, विश्राम करते हैं। वह दोनों ओर दो 5 पद्मवरवेदिकाओं तथा वनखण्डों से परिवेष्टित है-इत्यादि समस्त वर्णन पूर्वानुरूप है।
123. (Q.) Reverend Sir ! In the south of Sheeta river in Mahavideh region of Jambu island where is Sitamukh forest located ?
[A.J Gautam ! The description of Sitamukh forest in the south may be understood as similar to that of Sitamukh forest located in the north of Sita river. The only difference is that the southern Sitamukh forest is in the north of Nishadh Varshadhar mountain, in the south of Sita river, in the west of eastern Lavan ocean and in the east of Vats Vijay in Mahavideh region of Jambu continent. Its length is in north-south direction and it is identical to the Sitamukh forest in the north. Another difference is that gradually decreasing it is just one-nineteenth yojan
wide near Nishadh Varshadhar mountain. It has leaves whose colour is 卐 black, blue and the like; it has the same aura. It emits great fragrance
The gods and goddesses retire there and take rest. It is surrounded by two lotus Vedikas and two forests. The entire description is the same as already mentioned.
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वत्स आदि विजय VATSA VIJAY AND THE LIKE
१२४. [प्र. ] कहि णं भन्ते ! जम्बुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे वच्छे णामं विजए पण्णते ? ॐ [उ. ] गोयमा ! णिसहस्स वासहरपव्ययस्स उत्तरेणं, सीआए महाणईए दाहिणेणं, दाहिणिल्लस्स
सीआमुहवणस्स पच्चत्थिमेणं, तिउडस्स वक्खारपव्वयस्स पुरथिमेणं एत्थ णं जम्बुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे + वच्छे णामं विजए पण्णत्ते, तं चेव पमाणं, सुसीमा रायहाणी १, तिउडे वक्खारपव्वए सुवच्छे विजए,
कुण्डला रायहाणी २, तत्तजला णई, महावच्छे विजए अपराजिआ रायहाणी ३, वेसमणकूडे वक्खारपव्यए, ॐ वच्छावई विजए, पभंकरा रायहाणी ४, मत्तजला णई, रम्मे विजए, अंकावई रायहाणी ५, अंजणे
वक्खारपव्वए, रम्मगे विजए, पम्हावई रायहाणी ६, उम्मत्तजला महाणई, रमणिज्जे विजए, सुभा म रायहाणी ७, मायंजणे वक्खारपब्वए, मंगलावई विजए, रयणसंचया रायहाणीति ८।
एवं जह चेव सीआए महाणईए उत्तरं पासं तह चेव दक्खिणिल्लं भाणिअव्वं दाहिणिल्लसीआमुह वणाइ। इमे वक्खार-कूडा, तं जहा-तिउडे १, वेसमण कूडे २, अंजणे ३, मायंजणे ४, [णईउ तत्तजला ॐ १, मत्तजला २, उम्मत्तजला ३] विजया, तं जहा- १. वच्छे, २. सुवच्छे, ३. महावच्छे, चउत्थे ४. वच्छगावई।
५. रम्मे, ६. रम्मए चेव, ७. रमणिज्जे, ८. मंगलावई ॥१॥ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
(348)
Jambudveep Prajnapti Sutra
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