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फ योजन, बीच में छह योजन तथा ऊपर चार योजन लम्बा-चौड़ा है। उस शिखर की परिधि मूल में कुछ
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5 अधिक पच्चीस योजन, मध्य में कुछ अधिक अठारह योजन तथा ऊपर कुछ अधिक बारह योजन है।
वह मूल में चौड़ा, बीच में सँकड़ा और ऊपर पतला है, सर्व स्वर्णमय है, उज्ज्वल है। पद्मवरवेदिका एवं वनखण्ड का वर्णन पूर्वानुरूप है। इसी प्रकार अन्य शिखर हैं। जम्बू सुदर्शना के बारह नाम इस प्रकार हैं
(१) सुदर्शना, (२) अमोघा, (३) सुप्रबुद्धा, (४) यशोधरा, (५) विदेहजम्बू, (६) सौमनस्या, नियता, (८) नित्यमण्डिता, (९) सुभद्रा, (१०) विशाला, (११) सुजाता, तथा ( १२ ) सुमना । जम्बू सुदर्शना पर आठ-आठ मांगलिक द्रव्य प्रस्थापित हैं।
[प्र. ] भगवन् ! इसका नाम जम्बू सुदर्शना किस कारण पड़ा ?
[ उ. ] गौतम ! वहाँ जम्बूद्वीपाधिपति, परम ऋद्धिशाली अनादृत नामक देव अपने चार हजार सामानिक देवों यावत् सोलह हजार आत्मरक्षक देवों का, जम्बू द्वीप का, जम्बू सुदर्शना का, अनादृता नामक राजधानी का, अन्य अनेक देव - देवियों का आधिपत्य करता हुआ निवास करता है। गौतम ! इस कारण उसे जम्बू सुदर्शना कहा जाता है। अथवा गौतम ! जम्बू सुदर्शना नाम ध्रुव, नियत, शाश्वत, अक्षय (अव्यय) तथा अवस्थित है।
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[ प्र. ] भगवन् ! अनादृत नामक देव की अनादृता नामक राजधानी कहाँ पर है ?
[उ. ] गौतम ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत मन्दर पर्वत के उत्तर में अनादृता राजधानी है। उसके प्रमाण आदि पूर्व वर्णित यमिका राजधानी के सदृश हैं। देव का उपपात उत्पत्ति, अभिषेक आदि सारा वर्णन वैसा ही है।
[ प्र. ] भगवन् ! उत्तरकुरु-यह नाम किस कारण पड़ा ?
[ उ. ] गौतम ! उत्तरकुरु में परम ऋद्धिशाली, एक पल्योपम आयुष्ययुक्त उत्तरकुरु नामक देव निवास करता है। गौतम ! इस कारण वह उत्तरकुरु कहा जाता है। अथवा उत्तरकुरु नाम (ध्रुव, नियत एवं ) शाश्वत है।
107. [2] That Jambu (Sudarshan) is surrounded by twelve lotus Vedikas from all sides. The description of Vedikas is as mentioned carlier. Again it is surrounded by other Jambu trees which are half of its height. Their description is as mentioned earlier. Again these Jambu trees are surrounded by six lotus Vedikas.
In the north-east, north and in the north-west direction of Jambu tree 5 there are 4,000 Jambu trees of co-chiefs of Anadrit god (the celestial being who believes himself to be unique, uncomparable in lustre and prosperity and as such does not give any respect to other celestial beings). In the east there are four Jambu trees of four chief-goddesses.
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जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
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Jambudveep Prajnapti Sutra
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