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९५. [.] भगवन् ! वह हैमवत क्षेत्र क्यों कहा जाता है ?
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[ उ. ] गौतम ! वह चुल्लहिमवान् तथा महाहिमवान् वर्षधर पर्वतों के बीच में है । वहाँ जो यौगलिक मनुष्य निवास करते हैं, वे बैठने आदि के निमित्त नित्य स्वर्णमय शिलापट्टक आदि का उपयोग करते हैं। उन्हें नित्य स्वर्ण देकर वह यह प्रकाशित करता है कि वह स्वर्णमय विशिष्ट वैभवयुक्त है। (यह 5 औपचारिक कथन है) वहाँ परम ऋद्धिशाली, एक पल्योपम आयुष्य वाला हैमवत नामक देव निवास करता है। गौतम ! इस कारण वह हैमवत क्षेत्र कहा जाता है। (यह युगलिक क्षेत्र है ।)
95. [Q.] Reverend Sir ! Why is it called Haimavat region ?
[Ans.] Gautam ! It is located in between Chull Himavan and Maha Himavan Varshadhar mountains. Twin (yaugalik) human beings residing there always use golden stony seat for sitting. It brightens them by giving them gold regularly. It indicates that it has unique golden wealth. (It is a formal statement). A very prosperous celestial being whose name is Haimavat and whose life-span is one palyopam resides there. So, Gautam ! It is called Haimavat region. ( It is region of twins.)
卐 महाहिमवान् वर्षधर पर्वत MAHA HIMAVAN VARSHADHAR MOUNTAIN
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卐 ९६. [.] कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे २ महाहिमवन्ते णामं वासहरपव्वए पण्णत्ते ?
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卐 [उ. ] गोयमा ! हरिवासस्स दाहिणेणं, हेमवयस्स वासस्स उत्तरेणं, पुरत्थिमलवणसमुद्दस्स पच्चत्थिमेणं, 5 पच्चत्थिमलवणसमुद्दस्स पुरत्थिमेणं, एत्थ णं जम्बुद्दीवे महाहिमवंते णामं वासहरपव्यए पण्णत्ते ।
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पाईणपडीणायए, उदीणदाहिणवित्थिण्णे, पलियंकसंटाणसंटिए, दुहा लवणसमुद्दं पुट्ठे, पुरत्थिमिल्लाए कोडीए ( पुरथिमिल्लं लवणसमुद्द) पुट्ठे, पच्चत्थिमिल्लाए कोडीए पच्चत्थिमिल्लं लवणसमुदं पुट्ठे । दो 卐 जोअणसयाइं उद्धं उच्चत्तेणं, पण्णासं जोअणाई उव्वेहेणं, चत्तारि जोअणसहस्साइं दोणि अ दसुत्तरे 5 जोअणसए दस य एगूणवीसइभाए जोअणस्स विक्खंभेणं ।
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तस्स बाहा पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं णव य जोअणसहस्साइं दोण्णि अ छावत्तरे जोअणसए व य 5 एगूणवीसइभाए जोअणस्स अद्धभागं च आयामेणं ।
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तस्स जीवा उत्तरेणं पाईणपडीणायया, दुहा लवणसमुदं पुट्ठा, पुरत्थिमिल्लाए कोडीए पुरथिमिल्लं लवणसमुदं पुट्ठा, पच्चत्थिमिल्लाए पुट्ठा, तेवण्णं जोअणसहस्साइं नव य एगतीसे जोअणसए छच्च एगूणवीसइभाए जो अणस्स किंचिविसेसाहिए आयामेणं ।
तस्स धणुं दाहिणं सत्तावण्णं जोअणसहस्साइं दोणि अ तेणउए जोअणसए दस य एगूणवीसइभाए जोअणस्स परिक्खेवेणं, रुअगसंटाणसंटिए, सव्वरयणामए, अच्छे । उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइआहिं फ दोहि अ वणसंडेहिं संपरिक्खित्ते । 卐
महाहिमवन्तस्स णं वासहरपव्वयस्स उप्पिं बहुसमरमणिजे भूमिभागे पण्णत्ते, जाव णाणाविह 5 पञ्चवण्णेहिं मणीहि अ तणेहि अ उवसोभिए जाव आसयंति सयंति य ।
सूत्र
जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति
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Jambudveep Prajnapti Sutra
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