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चतुर्थ वक्षस्कार FOURTH CHAPTER
उपोद्घात INTRODUCTION जम्बूद्वीपान्तर्गत भरत क्षेत्र का वर्णन प्रथम तथा द्वितीय वक्षस्कार में आ चुका है। इस चतुर्थ वक्षस्कार में शेष सम्पूर्ण जम्बूद्वीप का वर्णन है।
The description of Bharat area in Jambu continent has been narrated in the first and the second chapters. In ihis fourth chapter, there is the y detailed description of the remaining aspects of Jambu dveep. चुल्ल हिमवान् पर्वत CHULL HIMAVAN MOUNTAIN
८९. [प्र. ] कहि णं भंते ! जम्बुद्दीवे दीवे चुल्लहिमवंते णामं वासहर पव्वए पण्णत्ते ?
[उ.] गोयमा ! हेमवयस्स वासस्स दाहिणेणं, भरहस्स वासस्स उत्तरेणं, पुरथिमलवणसमुहस्स पच्चत्थिमेणं, पच्चत्थिमलवणसमुद्दस्स पुरथिमेणं एत्थ णं जम्बुद्दीवे दीवे चुल्लहिमवंते णामं वासहरपब्बए पण्णत्ते। पाईण-पडीणायण, उदीण-दाहिण-वित्थिण्णे, दुहा लवणसमुहं पुढे, पुरथिमिल्लाए कोडीए पुरथिमिल्लं लवणसमुदं पुढे, पच्चत्थिमिल्लाए कोडीए पच्चत्थिमिल्लं लवणसमुहं पुढे। एगं जोअण-सयं उद्धं उच्चत्तेणं, पणवीसं जोअणाई उव्वेहेणं, एगं जोअणसहस्सं वावण्णं च जोषणाई दुवालस य एगूणवीसइ भाए जोअणस्स विक्खंभेणंति।
तस्स बाहा पुरथिम-पच्चत्थिमेणं पंच जोअणसहस्साइं तिण्णि अ पण्णासे जोअणसए पण्णरस य । एगूणवीसइभाए जोअणस्स अद्धभागं च आयामेणं, तस्स जीवा उत्तरेणं पाईण-पडीणायया : के पच्चत्थिमिल्लाए कोडीए पच्चत्थिमिल्लं लवणसमुदं पुट्ठा, चउव्वीसं जोअण-सहस्साई णव य बत्तीसे !
जोअणसए अद्धभागं च किंचि विसेसूणा आयामेणं पण्णत्ता। तीसे धणु-पट्टे दाहिणेणं पणवीसं : जोअण-सहस्साई दोण्णि अ तीसे जोअणसए चत्तारि अ एगूणवीसइभाए जोअणस्स परिक्खेवेणं पण्णत्ते,
रुअगसंठाणसंठिए, सव्वकणगामए, अच्छे, सण्हे तहेव जाव पडिसवे, उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइआहिं : है दोहि अ वणसंडेहिं संपरिक्खित्ते दुण्हवि पमाणं वण्णगोत्ति। चुल्लहिमवंतस्स वासहर-पव्वयस्स उवरि ।
बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पण्णत्ते, से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव बहवे वाणमंतरा देवा य: देवीओ अ जाव विहरंति।
८९. [प्र. ] भगवन् ! जम्बूद्वीप में चुल्न हिमवान् नामक वर्षधर पर्वत कहाँ है ? [उ. ] गौतम ! जम्बूद्वीप में चुल्ल हिमवान् नामक वर्षधर हैमवत क्षेत्र के दक्षिण में, भरत क्षेत्र के उत्तर में, पूर्वी लवणसमुद्र के पश्चिम में तथा पश्चिमी लवणसमुद्र के पूर्व में है। वह पूर्व-पश्चिम लम्बा म तथा उत्तर-दक्षिण चौड़ा है। वह दो ओर से लवणसमुद्र को स्पर्श किये हुए है। अपने पूर्वी किनारे से !
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जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
(256)
Jambudveep Prajnapti Sutra
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