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८४. [ १ ] अपनी राज्य-व्यवस्था सम्बन्धी चिन्तन करते हुए किसी समय राजा भरत के मन में 4 ऐसा संकल्प उत्पन्न हुआ - मैंने अपने बल, वीर्य, पौरुष एवं पराक्रम द्वारा एक ओर लघु हिमवान् पर्वत फ एवं तीन ओर समुद्रों से मर्यादित समस्त भरत क्षेत्र को जीत लिया है। इसलिए अब उचित है, मैं विराट् ५ राज्याभिषेक समारोह आयोजित करवाऊँ, जिसमें मेरा राजतिलक हो । ( रात बीत जाने पर, आगामी ५ दिन वाले, सहस्रकिरणयुक्त, दिन के सूर्य के उदित होने पर) राजा भरत, जहाँ स्नानघर था, वहाँ आया । स्नान आदि कर बाहर निकला, जहाँ बाह्य उपस्थानशाला थी । सिंहासन था, वहाँ आया । पूर्व की ओर मुँह किये सिंहासन पर बैठा । सिंहासन पर बैठकर उसने सोलह हजार आभियोगिक देवों, बत्तीस हजार 5 प्रमुख राजाओं, सेनापतिरत्न यावत् पुरोहितरत्न को तीन सौ साठ स्वस्ति वाचकों, अठारह श्रेणि- प्रश्रेणि जनों तथा अन्य बहुत से माण्डलिक राजाओं एवं प्रभावशाली पुरुषों, विशिष्ट नागरिकों और सार्थवाहों को बुलाकर कहा - 'देवानुप्रियो ! मैंने अपने बल, वीर्य, यावत् पराक्रम द्वारा समग्र भरत क्षेत्र को जीत लिया है । देवानुप्रियो ! तुम लोग मेरे राज्याभिषेक के विराट् समारोह की तैयारी करो।' राजा भरत द्वारा यों कहे जाने पर वे सोलह हजार आभियोगिक देव यावत् सार्थवाह आदि बहुत हर्षित एवं परितुष्ट हुए। उन्होंने हाथ जोड़े, मस्तक से लगाकर राजा भरत का आदेश विनयपूर्वक स्वीकार किया।
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84. [1] Once, while contemplating about the administration of his kingdom, king Bharat thought as under-I have conquered the entire continent surrounded by small Himavan mountain on one side and by the ocean on three sides with my power, strength, courage and zeal. So it is now proper that I should get arranged the ceremony at a grand level 4 so that I may be coronated. (After the night had passed and when the sun had risen on the following day and was shining bright with the thousands of its rays) King Bharat came to his bathing chamber. After फ्र taking bath, he came to the assembly hall and sat on the throne facing eastwards. He then called sixteen thousand subservient celestial beings, thirty two thousands prominent kings, the army chief (Senapati Ratna) up to chief advisor (purohit Ratna), three hundred and sixty hymn tellers, the heads of eighteen categories and sub-categories of the masses and many mandalik rulers. The influential persons, the elite of the town and the noblemen and said, 'O the blessed! I have conquered the entire 卐 Bharat area with my physical strength, power, courage and zeal. So now you make preparation for my coronation as king emperor at a large scale.
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Sixteen thousand celestial beings (abhiyogik devas) up to the 卐 noblemen felt highly pleased and satisfied to receive these orders. They accepted the orders of king Bharat with folded hands and touched their forehead as a mark of respect.
तृतीय वक्षस्कार
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Third Chapter फ्र
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