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८२. [३] तए णं से भरहे राया अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि पोसहसालाओ पडिणिक्खमइ, एवं मजणघरपवेसो जाव सेणि-पसेणिसद्दावणया जाव णिहिरयणाणं अट्ठाहिअं महामहिमं करेइ। म तए णं से भरहे राया णिहिरयणाणं अट्ठाहिआए महामहिमाए णिवत्ताए समाणीए सुसेणं सेणावइरयणं
सद्दावेइ २ ता एवं वयासी-गच्छ णं भो देवाणुप्पिआ ! गंगामहाणईए पुरथिमिल्लं णिक्खुडं दुच्चंपि सगंगासागरगिरिमेरागं समविसमणिक्खुडाणि अ ओअवेहि ओअवित्ता एअमाणत्तिअंपच्चप्पिणाहित्ति।
तए णं से सुसेणं तं चेव पुव्ववण्णिअं भाणिअव्वं जाव ओअवित्ता तमाणत्तिअं पच्चप्पिणइ पडिविसज्जेइ ॐ जाव भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ।
८२. [३] राजा भरत तेले की तपस्या के सम्पन्न हो जाने पर पौषधशाला से बाहर निकला, ॐ स्नानघर में प्रविष्ट हुआ। स्नान आदि सम्पन्न कर उसने श्रेणि-प्रश्रेणि-जनों को बुलाया, नौ निधि-रत्नों के को-नौ निधियों को साध लेने के उपलक्ष्य में अष्ट दिवसीय महोत्सव आयोजित कराया।
____ अष्ट दिवसीय महोत्सव के पश्चात् राजा भरत ने सेनापति सुषेण को बुलाया और कहा-भरत क्षेत्र म के कोणस्थित दूसरे प्रदेश को, जो पश्चिम दिशा में गंगा से, पूर्व एवं दक्षिण दिशा में समुद्रों से और + उत्तर दिशा में वैताढ्य पर्वत से मर्यादित हैं तथा वहाँ के अवान्तर क्षेत्रीय सम-विषम कोणस्थ प्रदेशों को - अधिकृत करो। अधिकृत कर मुझे अवगत कराओ।
सेनापति सुषेण ने उन क्षेत्रों पर अधिकार किया। यहाँ का सारा वर्णन पूर्ववत् है। सेनापति सुषेण ने उन क्षेत्रों को अधिकृत कर राजा भरत को उससे अवगत कराया। राजा भरत ने उसे सत्कृत, सम्मानित 卐 कर विदा किया। वह अपने आवास पर आया, सुखोपभोगपूर्वक रहने लगा।
82. [3] After conclusion of three day fast, king Bharat came out of the Paushadhashala and entered the bathroom. After taking bath, he called the officials and got arranged eight day celebrations to commemorate the victory over nine treasures (nidhis).
Thereafter, king Bharat called Sushen, the army chief and ordered him, “You conquer the other distant region. It is in the west limited by river Ganga, in the east and the south by the seas and in the north by Vaitadhya mountain. You conquer all the areas levelled or unlevelled falling in between. Thereafter, you inform me.”
Sushen, the army chief conquered those regions. The entire 4 description should be understood here as mentioned earlier. After | conquering these areas, Sushen informed king Bharat. The king honoured him and then allowed him to go. He came to his residence and started living happely.
८२. [४] तए णं से दिव्वे चक्करयणे अन्नया कयाइ आउहघरसालाओ पडिणिक्खमइ २ ता अंतलिक्खपडिवण्णे जक्खसहस्ससंपरिबुडे दिव्वतुडिअ-(सद्दसण्णिणादेणं) आपूरेते चेव विजयक्खंधावारणिवेसं । मझमज्झेणं णिगच्छइ दाहिणपच्चत्थिमं दिसिं विणीअं रायहाणिं अभिमुहे पयाए यावि होत्था।
जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
(224)
Jambudveep Prajnapti Sutra
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