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Bharat accepted the jewels so offered, honoured Sushen, the army chief $i and then allowed him to go. Further description is similar to the one
already mentioned earlier. + भरत का प्रत्यागमन RETURN OF KING BHARAT
८१. [ २ ] तए णं से भरहे राया अण्णया कयाइ सुसेणं सेणावइरयणं सद्दावेइ २ ता एवं वयासीफ़ गच्छ णं भो देवाणुप्पिआ ! खंडप्पवायगुहाए उत्तरिल्लस्स दुवारस्स कवाडे विहाडेहि विहाडित्ता जहा
तिमिसगुहाए तहा भाणिअव् जाव पिअं भे भवउ, सेसं तहेव जाव भरहो उत्तरिल्लेणं दुवारेणं अईइ, * ससिव्व मेहंधयारनिवहं तहेव पविसंतो मंडलाइं आलिहइ।
___ तीसे णं खंडप्पवायगुहाए बहुमज्झदेसभाए (एत्थ णं) उम्मग्ग-णिमग्ग-जलाओ णाम दुवे महाणईओ ॐ तहेव णवरं पच्चत्थिमिल्लाओ कडगाओ पवूढाओ समाणीओ पुरथिमेणं गंगं महाणइं समप्पेंति, सेसं तहेव कणवरि पच्चत्थिमिल्लेणं कूलेणं गंगाए संकमवत्तव्यया तहेवत्ति। ॐ तए णं खंडगप्पवायगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडा सयमेव महया कोंचारवं करेमाणा २
सरसरस्सागाइं ठाणाई पच्चोसक्कित्था। तए णं से भरहे राया चक्करयणदेसियमग्गे जाव ॐ खंडगप्पवायगुहाओ दक्खिणिल्लेणं दारेणं णीणेइ ससिब मेहंधयारनिवहाओ।
८१. [२] तत्पश्चात् एक समय राजा भरत ने सेनापतिरत्न सुषेण को बुलाया। बुलाकर ॐ कहा-देवानुप्रिय ! जाओ, खण्डप्रपात गुफा के उत्तरी द्वार के कपाट उद्घाटित करो। आगे का वर्णन + तमिस्रा गुफा की ज्यों समझना चाहिए। फिर राजा भरत उत्तरी द्वार से गया। सघन अन्धकार को चीरकर
जैसे चन्द्रमा आगे बढ़ता है, उसी तरह खण्डप्रपात गुफा में प्रविष्ट हुआ, मण्डलों का आलेखन किया। क खण्डप्रपात गुफा के ठीक बीच के भाग से उन्मग्नजला तथा निमग्नजला नामक दो बड़ी नदियाँ
निकलती हैं। केवल इतना अन्तर है, ये नदियाँ खण्डप्रपात गुफा के पश्चिमी भाग से निकलकर आगे फ बढ़ती हुई पूर्वी भाग में गंगा महानदी में मिल जाती हैं। शेष सब वर्णन पूर्ववत् है। केवल इतना अन्तर 5 है, पुल गंगा के पश्चिमी किनारे पर बनाया। ॐ तत्पश्चात् खण्डप्रपात गुफा के दक्षिणी द्वार के कपाट क्रौंच पक्षी की ज्यों जोर से आवाज करते हुए म सरसराहट के साथ स्वयमेव अपने स्थान से सरक गये, खुल गये। चक्ररत्न द्वारा निर्देशित मार्ग का
अनुसरण करता हुआ राजा भरत निविड अन्धकार को चीरकर आगे बढ़ते हुए चन्द्रमा की ज्यों म खण्डप्रपात गुफा के दक्षिणी द्वार से निकला।
81. [2] Thereafter, once king Bharat called Sushen, the army chief, and ordered, 'O the blessed ! Please go and open the doors of the northern gate of Khand-prapat cave. Further description may be understood similar to that of Tamisra cave. Thus, king Bharat went in through the northern gate. He entered the Khand-prapat cave in the same manner as the moon goes ahead through dense dark clouds. He drew the Mandals.
जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
(218)
Jambudveep Prajnapti Sutra
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