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प्रथम वक्षस्कार
उपोद्घात
जम्बूद्वीप एवं भरत क्षेत्र का वर्णन
गणधर गौतम की जिज्ञासा
5 जम्बूद्वीप की अवस्थिति
जम्बूद्वीप की जगती प्राचीर
खण्ड : भूमिभाग
सिद्धायतनकूट
दक्षिणार्ध भरतकूट वैताढ्य पर्वत नाम क्यों ?
जम्बूद्वीप में उत्तरार्ध भरत का स्थान स्वरूप
ऋषभकूट
द्वितीय वक्षस्कार
१०
जम्बूद्वीप में भरत क्षेत्र का स्थान और स्वरूप जम्बूद्वीप में दक्षिणार्ध भरत का स्थान और स्वरूप १२
वैताढ्य पर्वत
१४
विद्याधर श्रेणियाँ
१७
वैताढ्य पर्वत पर कूट
२१
२२
२७
३०
३१
३३
5 उपोद्घात
भरत क्षेत्र : कालचक्र - वर्णन
कालगणना
औपमिक काल
अवसर्पिणी : (१) सुषम- सुषमा
अनुक्रमणिका
द्रुमगण
मनुष्यों की आकार देह रचना
३-३४
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३
३
४
५
५
७
८
३५- १२३
३५
३५
३६
३८
४२
४५
४७
स्त्रियों की शरीर रचना
मनुष्यों की आहार स्थिति
मनुष्यों का आवास जीवनचर्या
तिर्यंच आदि के उपद्रवों का अभाव
युद्ध व रोग आदि का अभाव
मनुष्यों की आयु आदि
(२) सुषमा आरक
(३) सुषमा - दुःषमा
कुलकर-व्यवस्था
प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव : गृहवास प्रव्रज्या : अभिनिष्क्रमण
केवलज्ञान-प्राप्ति
संघ संपदा
परिनिर्वाण
देवकृत महामहिमा : महोत्सव
ईशानेन्द्र का आगमन
शरीर संस्कार : चिता रचना
शिविका रचना
दाढ़ा ग्रहण
चैत्य स्तूप रचना
अवसर्पिणी: दुषम- सुषमा
अवसर्पिणी: दुषमा आरक
अवसर्पिणी: दुषम-दुषमा
(छठे आरे का पर्यावरण)
मनुष्यों का स्वभाव - व्यवहार मनुष्यों का आहार-व्यवहार
उत्सर्पिणी का दुषम-दुषमा-दुषमकाल
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५१
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