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5 अधिक बारह योजन तिरछा फैल गया। तब भरत राजा अपनी सेना सहित उस चर्मरत्न पर चढ़ गया। 卐 चढ़कर उसने छत्ररत्न को हाथ से छुआ, उठाया । वह छत्ररत्न निन्यानवे हजार स्वर्ण-निर्मित शलाकाओं से-ताड़ियों से परिमण्डित था । बहुमूल्य था । अयोध्य था उसे देख लेने पर प्रतिपक्षी योद्धाओं के शस्त्र 5 उठते तक नहीं थे। वह छिद्र, ग्रन्थि आदि के दोष से रहित था । सुप्रशस्त, विशिष्ट, मनोहर एवं स्वर्णमय 5 सुदृढ़ दण्ड से युक्त था । उसका आकार मुलायम चाँदी से बनी गोल कमलकर्णिका के समान था । वह
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बस्ति - प्रदेश में - जहाँ दण्ड योजित (जुड़ा ) रहता है, अनेक शलाकाओं से युक्त था। अतएव वह पिंजरे फ 5 जैसा प्रतीत होता था । उस पर विविध प्रकार की चित्रकारी की हुई थी। उस पर मणि, मोती, मूँगे, 卐 तपाये स्वर्ण तथा रत्नों द्वारा पूर्ण कलश आदि मांगलिक वस्तुओं के पंचरंगे उज्ज्वल आकार बने
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हुए
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5 थे। रत्नों की किरणों के सदृश रंगरचना में निपुण पुरुषों द्वारा वह सुन्दर रूप में रंगा हुआ था। उस पर 5 5 राजलक्ष्मी का चिह्न अंकित था । अर्जुन नामक पीत वर्ण के सोने का कलापूर्ण काम था। उसके चार कोण तपे हुए स्वर्णमय पट्ट से परिवेष्टित थे। वह अत्यधिक शोभा - सुन्दरता से युक्त था । उसका रूप शरद् ऋतु 5 के निर्मल, परिपूर्ण चन्द्रमण्डल के जैसा था । उसका स्वाभाविक विस्तार राजा भरत द्वारा तिरछी फैलाई गई अपनी दोनों भुजाओं के विस्तार जितना था । वह चन्द्रविकासी कमलों के वन समान उज्ज्वल था
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वह राजा भरत का मानो संचरणशील-जंगम विमान था । वह सूर्य के आतप, वायु-आँधी, वर्षा आदि- फ
विघ्नों का विनाशक था । पूर्व-जन्म आचरित तप, पुण्य - कर्म के फलस्वरूप वह प्राप्त था ।
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( गाथार्थ) वह छत्ररत्न अहत - अपने आपको योद्धा मानने वाले किसी भी पुरुष द्वारा संग्राम में
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5 खण्डित न हो सकने वाला था, ऐश्वर्य आदि अनेक गुणों का प्रदायक था। हेमन्त आदि ऋतुओं में विपरीत 'सुखप्रद छाया देता था । अर्थात् शीत ऋतु में उष्ण छाया देता था तथा ग्रीष्म ऋतु में शीतल छाया 5 देता था। वह छत्रों में उत्कृष्ट एवं प्रधान था । पुण्यहीन या थोड़े पुण्य वाले पुरुषों के लिए वह दुर्लभ था ।
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75. King Bharat saw that it had rained continuously for seven days on his military camp and that thickness of rainpour was equal to that of a thick stick or a fist. He then touched the Charma Ratna. That Charma Ratna transformed into Shrivats-a special type of Swastik. The divine Charma Ratna touched by Chakravarti king Bharat spread up to a distance more than twelve yojans. Then king Bharat alongwith his entire army got on that Charma Ratna. He then touched and picked up 5 the divine Umbrella (Chhatra Ratna). That Chhatra Ratna had 99,000 wires of gold. It was very costly. It could not be surpassed. In other words on seeing it, the soldiers on the opposite side could not pick up their Third Chapter
5 तृतीय वक्षस्कार फ्र
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वह छत्ररत्न छह खण्डों के अधिपति चक्रवर्ती राजाओं के पूर्वाचरित तप के फल का एक भाग था ।
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5 देवयोनि में भी वह अत्यन्त दुर्लभ था । उस पर फूलों की मालाएँ लटकती थीं। वह शरद् ऋतु के धवल 5
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मेघ तथा चन्द्रमा के प्रकाश के समान उज्ज्वल था । वह दिव्य था- एक हजार देवों से अधिष्ठित था । राजा भरत का वह छत्ररत्न ऐसा प्रतीत होता था, मानो भूतल पर परिपूर्ण चन्द्रमण्डल हो । राजा भरत
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5 द्वारा छुए जाने पर वह छत्ररत्न कुछ अधिक बारह योजन तिरछा विस्तीर्ण हो गया - फैल गया।
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(199)
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