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卐 ७३. [ १ ] सेनापति सुषेण ने राजा भरत के यावत सुसज्जित सैन्य के अग्र भाग के अनेक फ
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5 अश्वरत्न वर्णन DESCRIPTION OF HORSE
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73. [1] Sushen, the army chief, saw many soldiers of king Bharat in 5 the front line being injured and killed by Aapat Kirats. He also saw the soldiers trying to run away in the other direction in order to save their 卐 lives with great difficultly. Immediately at this sight, Sushen army chief became extremely angry, rude and dreadful. He, breathing sharply, rode 5 Kamlamel horse.
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योद्धाओं को आपात किरातों द्वारा आहत, मथित देखा। सैनिकों को बड़ी कठिनाई से अपने प्राण 卐
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बचाकर एक दिशा से दूसरी दिशा की ओर भागते देखा। यह देखकर सेनापति सुषेण तत्काल अत्यन्त 卐 क्रुद्ध, रुष्ट, विकराल एवं कुपित हुआ। वह मिसमिसाहट करता हुआ - तेज साँस छोड़ता हुआ कमलामेल 5 नामक अश्वरत्न पर आरूढ़ हुआ।
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तवणिज्जथासगाहिलाणं वर- कणग - सुफुल्ल - थासग - विचित्त - रयण-रज्जुपासं कंचण - मणि-कण -
इंदनील - मरगय-मसारगल्ल- मुहमंडणरइअं आविद्धमाणिक्क - सुत्तग - विभूसियं कणगामय- पउम
5 तालुजीहासयं
७३. [२] तए णं तं असीइमंगलमूसिअं णवणउइमंगुलपरिणाहं बत्तीसमंगुलमूसि असिरं चउरंगुलकन्नागं वीसइ अंगुलबाहागं चउरंगुलजाणूकं सोलस अंगुलजंघागं 5 चउरंगुलमूसि अखुरं मुत्तोलीसंवत्तवलिअमज्झं ईसिं अंगुलपणयपठ्ठे संणयपठ्ठे संगयपठ्ठे सुजायपठ्ठे पत्थप विसिट्ठपट्टे जाणवित्यथद्धपटुं
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वित्तलयकस - णिवाय- अंकेल्लण-पहारपरिवज्जिअंगं फ्र
चोक्खचरगपरिव्वायगोविव
अट्ठसयमंगुलमायतं
2544545 4 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5555 5 5 5555555 456 452
पयर - णाणाविह - घंटिआजाल - मुत्तिआजालएहिं परिमंडियेणं पट्टेण सोभमाणेण सोभमाणं कक्केयण- 5
तृतीय वक्षस्कार
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फ्र अणभवाहं
5 सुकयतिलकं देवमइविकप्पिअं सुरवरिंद - वाहणजोग्गावयं सुरूवं दूइज्जमाण - पंच- चारुचामरा - मेलगं घरेंतं 5 अभेलणयणं कोकासिअ - बहलपत्तलच्छं
सयावरण - नवकणग-तविअ - तवणिज्ज - सलिलबिंदुजुअं
सिरिआभिसे अघोणं
पोक्खरपत्तमिव
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इसिमिव खंतिखमए सुसीसमिव पच्चक्खया विणीयं उदग - हुतवह- पासाण - पंसुकद्दम ससक्करसवालुइल्ल-तडकडग-विसमपब्भार - गिरिदरीसु लंघण - पिल्लण - णित्थारणासमत्थं अचंडपाडियं दंडपातिं अणसुपातिं अकालतालुं च कालहेसिं जिअनिद्दं, गवेसगं, जिअपरिसहं, जच्चजातीअं, मल्लिहाणिं सुगपत्त - सुवण्णकोमलं मणाभिरामं ।
फ्र
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अचंचलं चंचलसरीरं
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Third Chapter
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हिलीयमाणं - हिलीयमाणं खुरचलण-चच्चपुडेहि धरणिअलं अभिहणमाणं २ दो वि अ चलणे जमग- 新 समगं मुहाओ विणिग्गमंतं व सिग्घयाए मुणालतंतुउदगमवि णिस्साए पक्कमंतं जाइ-कुल- रूव - फ्र पच्चयपसत्थ- वारसावत्तग - विसुद्धलक्खणं सुकुलप्पसूअं मेहावि भद्दय - विणीअं अणुअ-तणुअसुकुमाल - लोमनिद्धच्छविं सुजाय - अमर - मण - पवण - गरुल - जइण - चवलसिग्द्यगामिं ।
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