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| चित्र परिचय५ ।
मांसाहार त्याग का संकल्प १. अवसर्पिणी काल के छठे आरे दुःषम-दुःषमा काल में मनुष्यों का आकार एक हाथ चौबीस अंगुल प्रमाण हो जायेगा। आयु २० वर्ष रह जायेगी। शरीर में आठ पसलियाँ होंगी। वे वैताढ्य पर्वत के बिलों में वास करेंगे। रात्रि में शीत और दिन में सूर्य का ताप प्रबल होगा। वे सूर्योदय और सूर्यास्त के समय एक मुहुर्त के लिये बिल से बाहर निकलकर गंगा और सिन्धु नदियों में कछुये-मछली आदि पकड़ेंगे और उन्हें रेत में गाड़ देंगे और
बिलों में वापस भाग जायेंगे। कछुये-मछली आदि शीत अथवा ताप से पक जायेंगे तो दूसरी बार उन्हें आकर ऊ निकाल लेंगे और लूट-लूटकर खा जायेंगे। उस काल में मनुष्य दीन-हीन, दुर्बल, बीमार, कुसंस्कारी, अपवित्र 卐 होंगे।
२. अवसर्पिणी काल के छठे आरे के २१००० वर्ष बीत जाने के पश्चात् उत्सर्पिणी काल का पहला आरा 卐 दु:षम-दुःषमा, श्रावण कृष्णा प्रतिपदा के दिन प्रारम्भ होगा। यह अवसर्पिणी काल के छठे आरे की तरह ही
होगा। फर्क सिर्फ इतना होगा कि मनुष्यों की आयु और अवगाहना बढ़ने लगेगी। ॐ इस आरे के २१००० वर्ष और बीत जाने के पश्चात् उत्सर्पिणी काल का दुःषमा नामक दूसरा आराम 卐 प्रारम्भ होगा। इस आरे के प्रारम्भ होते ही भरत क्षेत्र में घने-घने मेघ छा जायेंगे। जल क्षीर- घृत-अमृत और रस 5
की वृष्टि होगी। जिससे पृथ्वी की सब दुर्गन्ध दूर हो जायेगी। चारों ओर हरियाली छा जायेगी। वृक्षों पर।
कोपलें-फल-फूल आदि उत्पन्न होने लगेंगे। मनुष्य बिलों से निकलकर फल आदि का सेवन करने लगेंगे। म卐 धुर स्वाद से परिपूर्ण फलों के सेवन से मांसाहार का परित्याग करेंगे और मांसाहार से घृणा करते हुए मांसाहार का त्याग का संकल्प ले लेंगे। गंगा और सिन्धु नदियाँ जल से भर जायेंगी। शुभ पर्यायों में अनन्त गुणी वृद्धि होती रहेगी। चारों ओर सखद परिवर्तन हो जायेगा।
-वक्षस्कार २, सूत्र ४६ से ४९ तक
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1. During the sixth epoch, Dukham-dukhama, of the regressive half-cycle of time the height of human beings will become one cubit or 24 Anguls. The life-span will reduce to mere 20 years.
There will be only eight ribs. They will live in holes in Vaitadhya mountain. Nights will be extremely 4 cold and days will be extremely hot. They will come out of there holes only at dawn and dusk just for 45 Lione Muhurt. At that time they will catch tortoises and fish from Ganga and Sindhu rivers, bury them 45
in the sand and rush back to their holes. By the time of their next outing their earlier kills will roast 15 or freeze. They will dig these out and eat fighting and snatching. In that epoch human beings will be poor, lowly, weak, sick, ill-mannered and dirty.
2. At the end of the 21,000 year period of the sixth epoch of the regressive half-cycle will commence the first epoch, Dukham-dukhama, of the progressive half-cycle. The date would be the first day of the dark half of the month of Shravan. This epoch will be same as the sixth epoch of the regressive half-cycle. The only difference is the life-span and size of the human beings will gradualiy increase.
At the end of 21,000 years of this epoch will commence the second epoch, Dukhama, of the progressive half-cycle. At the beginning of this epoch intense clouds will cover the whole sky of Bharat area. There will be rains of water with qualities of milk, butter, and ambrosia. This will wash away all the dirt and stench on the earth. Greenery will spread all around. New leaves, flowers and fruits will sprout on trees. Human beings will come out of there holes and start eating fruits and
vegetables. The tasty fruits will inspire them to stop eating meat. Soon they will become averse to - eating meat and resolve to be vegetarians. Water level in Ganga and Sindhu rivers will start rising. Noble qualities will enhance in leaps and bounds bring about a pleasant change all around.
- Vakshaskar-2, Sutra-46-49
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