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[Ans.] Gautam ! It is not true. Those human beings are free from any 5 5 inimical attitude.
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३१. [ प्र. २३ ] अत्थि णं भंते ! तीसे समाए भरहे वासे दुब्भूआणि वा, कुलरोगाइ वा, गामरोगाइ फ्र बा, मण्डलरोगाइ वा, पोट्टरोगाइ वा, सीसवेअणाइ वा, कण्णोट्ठ-अच्छि - णह - दंत - वे अणाइ वा, कासाइ वा, सासाइ वा सोसाइ वा, दाहाइ बा, अरिसाइ बा, अजीरगाइ वा, दओदराइ वा, पंडुरोगाइ वा फ्र भगंदराइ वा एगाहिआइ वा, बेआहिआइ वा, तेआहिआइ वा, चउत्थाहिआइ वा, इंदग्गहाइ वा, फ धग्गहाइ वा खंदग्गहाइ वा, जक्खग्गहाइ वा, भूअग्गहाइ वा, मत्थसूलाइ वा, हिअयसूलाइ वा, फ्र 5 पोट्टसूलाइ वा कुच्छिसूलाइ वा, जोणिसूलाइ बा, गाममारीइ वा, सण्णिवेसमारीइ वा, पाणिक्खया, जणक्खया, वसणभूअमणारिआ ?
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[ उ. ] गोयमा ! णो इणट्ठे समट्ठे, ववगयरोगायंका णं ते मणुआ पण्णत्ता समणाउसो !
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३१. [ प्र. २३ ] भगवन् ! क्या उस समय भरत क्षेत्र में दुर्भूत- मनुष्य या धान्य आदि के लिए उपद्रव 5 हेतु, चूहों, टिड्डियों आदि द्वारा उत्पादित ईति - संकट, ( कृषि विघातक उपद्रव) कुल - रोग - कुलक्रम से आये हुए रोग, ग्राम - रोग - गाँवभर में व्याप्त रोग, मंडल - रोग - ग्रामसमूहात्मक भूभाग में व्याप्त रोग, पोट्टक रोग पेट सम्बन्धी रोग, शीर्षवेदना-मस्तक पीड़ा, कर्ण-वेदना, ओष्ठ-वेदना, नेत्र - वेदना, नख- वेदना, दंत - वेदना, खाँसी, श्वास रोग, शोष-क्षय रोग, दाह-जलन, अर्श- बवासीर, अजीर्ण, जलोदर, पांडु-रोग- पीलिया, भगन्दर, एक दिन से आने वाला ज्वर, दो दिन से आने वाला ज्वर, तीन दिन से आने वाला ज्वर, चार दिन से आने वाला ज्वर, इन्द्रग्रह, धनुर्ग्रह, स्कन्दग्रह, कुमारग्रह, यक्षग्रह, भूतग्रह आदि उन्मत्तता हेतु व्यन्तरदेव कृत उपद्रव, मस्तक - शूल, हृदय-शूल, कुक्षि-शूल, योनि-शूल, गाँव यावत् फ सन्निवेश- इनमें किसी विशेष रोग द्वारा एक साथ बहुत से लोगों की मृत्यु आदि द्वारा गाय, बैल आदि 5 प्राणियों का नाश, मनुष्यों का नाश, वंश का नाश - ये सब होते हैं ?
[ उ. ] आयुष्मन् गौतम ! वे मनुष्य रोग- कुष्ठ आदि चिरस्थायी बीमारियों तथा आतंक - शीघ्र प्राण लेने वाली शूल आदि बीमारियों से रहित होते हैं । (मनुष्यों की जीवनचर्या का यह वर्णन उस समय की परम शान्तिदायक परिस्थिति का चित्रण है ।)
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31. [Q.23] Reverend Sir ! Is it a fact that in Bharat area, human beings at that time including many persons, cows, bullocks were perishing in large number resulting in extinction of their clan as a result of damage to crops by rats, locust and the like, loss of agricultural crop, family diseases, wide spread fatal diseases spreading throughout in the village, diseases in large areas, diseases pertaining to stomach, head, fear, lips, eyes, pain in teeth, in nails, cough, breathing trouble, tuberculosis, burning sensation, piles, disease due to overeating, jaundice, bhagandar, typhoid, fever for one, two, three, four days, disturbances such as Indragrah, dhanurgrah, skandagrah, kumaragrah,
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द्वितीय वक्षस्कार
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Second Chapter
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