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तिथंच आदि के उपद्रवों का अभाव ABSENCE OF CALAMITIES CAUSED BY SUB-HUMANS
३१. [प्र. १४ ] अस्थि णं भंते ! तीसे समाए भरहे वासे गावीइ वा, महिसीइ वा, अयाइ वा, एलगाइ वा ? [उ. ] हंता अत्थि, णो चेव णं तेसिं मणुआणं परिभोगत्ताए हव्यमागच्छंति।
३१. [प्र. १४ ] भगवन् ! क्या उस समय भरत क्षेत्र में गाय, भैंस, अजा-बकरी, एडका-भेड़-ये सब पशु होते हैं ?
[उ. ] गौतम ! ये पशु होते हैं, किन्तु उन मनुष्यों के उपयोग में नहीं आते।
31. [Q. 14] Reverend Sir ! Did animals such as cows, buffaloes, goats and sheep exist in Bharat area at that time?
(Ans.] Gautam ! Such animals were there but they were not made use of by those human beings.
३१. [प्र. १५ ] अस्थि णं भंते ! तीसे समाए भरहे वासे आसाइ वा, हत्थीइ वा, उट्टाइ वा, गोणाइ वा, गवयाइ वा, अयाइ वा, एलगाइ वा, पसयाइ वा, मिआइ वा, वराहाइ वा, रुरुत्ति वा, सरभाइ वा, चमराइ वा, सबराइ वा, कुरंगाइ वा, गोकण्णाइ वा ?
[उ. ] हंता अत्थि, णो चेव णं तेसिं परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति।
३१. [प्र. १५] भगवन् ! क्या उस समय भरत क्षेत्र में घोड़े, हाथी, ऊँट, गाय, गवय-वनैली गाय, बकरी, भेड़, प्रश्रय-दो खुरों के जंगली पशु, मृग-हरिण, वराह-सूअर, रुरु-मृग-विशेष, शरभ-अष्टापद, चँवर-जंगली गायें, जिनकी पूँछों के बालों से चँवर बनते हैं, शबर-सांभर, कुरंग-मृग-विशेष तथा गोकर्ण-मृग-विशेष-ये होते हैं ?
[उ. ] गौतम ! ये होते हैं, किन्तु उन मनुष्यों के उपयोग में नहीं आते।
31. [Q. 15] Reverend Sir ! Did horses, elephants, camels, cows, wild cows, goats, sheep, wild animals with two hoofs, deer, pig, deer with twisted horns, ashtapad, wild cows the hair of whose tails are used in making of whisks, sambhar, kurnag deer and gokaran deer exist there in Bharat area at that time?
(Ans.) Gautam ! All these are there but they were not used by human beings at that time.
३१. [प्र. १६ ] अस्थि णं भंते ! तीसे समाए भरहे वासे सीहाइ वा, वग्याइ वा, विग-दीविगअच्छ-तरच्छ–सिआल-बिडाल-सुणग-कोकंतिय-कोलसुणगाइ वा ?
[उ. ] हंता अत्थि, णो चेव णं तेसिं मणुआणं आबाहं वा वाबाहं वा छविच्छेअं वा उप्पायेंति, पगइभहया णं ते सावयगणा पण्णत्ता समणाउसो ! हितीय बक्षस्कार
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Second Chapter
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