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three kinds of pride); forgiveness; restraint over mental, vocal and physical indulgences; independence from ambitions; various branches of knowledge; skill of mantra and contemplation; knowledge of the Vedas and other scriptures; celibacy; subjects like logic and naya (system of variant perspectives); adherence to rules; truth and purity of soul. They also had qualities like good complexion; reluctance in transgressing ascetic-discipline; aura of austerities; command over senses; purity of heart; independence from sleep and freedom from mundane curiosity. They never allowed their desires or leshyas (complexion of soul) to go out of control. Their attitude always remained pious. They immaculately followed the ascetic life with all purity and subdued their desires and senses. They moved about following the word of the Vitarag and considering his sermon to be the commandment.
२६. तेसि णं भगवंताणं आयावाया वि विदित्ता भवंति, परवाया वि विदित्ता भवंति, आयावायं जमइत्ता नलवणमिव मत्तमातंगा, अच्छिद्दपसिणवागरणा, रयणकरंडगसमाणा, कुत्तियावणभूया।
परवाइपमद्दणा, दुवालसंगिणो, समत्तगणिपिडगधरा, सव्वक्खरसण्णिवाइणो, सबभासाणुगामिणो, अजिणा जिणसंकासा, जिणा इव अवितहं वागरमाणा संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणा विहरंति।
२६. वे स्थविर भगवान आत्मवाद-स्व-सिद्धान्तों में वर्णित विविध तत्त्वों के ज्ञाता थे। परवाद-दूसरे के सिद्धान्तों के भी वेत्ता थे। जिस प्रकार कमलवन में पुनः-पुनः क्रीड़ा करने वाला हाथी कमलवन से भलीभाँति परिचित रहता है उसी प्रकार वे अपने सिद्धान्तों के पुनःपुनः अभ्यास या परावर्तना के कारण उनसे सुपरिचित थे। जब कोई उनसे प्रश्न पूछता तो वे अच्छिद्र-अखण्डित रूप में उनका उत्तर देने में समर्थ थे। वे रत्नों की पिटारी के सदृश ज्ञान, दर्शन, चारित्र आदि दिव्य रत्नों से परिपूर्ण थे। वे कृत्रिकापण तुल्य थे। (कृत्रिकापण में जिस प्रकार सभी मन इच्छित वस्तुएँ प्राप्त होती हैं, उसी प्रकार वे अपने मन इच्छित कार्य पूर्ण करने में समर्थ थे।) __वे परवादियों के मत का निराकरण (खण्डन) करने में सक्षम थे। आचारांग, सूत्रकृतांग आदि बारह अंगों के ज्ञाता थे। समस्त गणिपिटक (जिन-प्रवचन) के धारक, अक्षरों-स्वर एवं व्यंजनों के सभी प्रकार के संयोग के ज्ञाता, सब प्रकार की भाषाओं के जानकार थे।
समवसरण अधिकार
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Samavasaran Adhikar
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