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Laghumokapratima and Mahamokpratima are two practices related to urine. Today a variety of experiments are being done in the field of auto-urine therapy. This topic finds mention many ways in the Agam literature.
स्थविरों के गुण वर्णन
२५. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी बहवे थेरा भगवंतो जाइसंपण्णा कुलसंपण्णा बलसंपण्णा रुवसंपण्णा विणयसंपण्णा णाणसंपण्णा दंसणसंपण्णा चरित्तसंपण्णा लज्जासंपण्णा लाघवसंपण्णा ।
ओयंसी तेयंसी बच्चंसी जसंसी, जियकोहा जियमाणा जियमाया जियलोभा जिइंदिया जियणिद्दा जियपरीसहा जीवियास - मरणभयविप्पमुक्का ।
वयप्पाणा गुणप्पहाणा करणप्पहाणा चरणप्पहाणा णिग्गहप्पहाणा निच्छयप्पहाणा अज्जवप्पहाणा मद्दवप्पहाणा लाघवप्पहाणा खंतिप्पहाणा मुत्तिप्पहाणा विजाप्पहाणा तप्पाणा वेयप्पहाणा बंभप्पहाणा नयप्पहाणा नियमप्पहाणा सच्चप्पहाणा सोयप्पहाणा । चारुवण्णा लज्जा तवस्सी जिइंदिया सोही अणियाणा अप्पोसुया अबहिल्लेसा अप्पडिलेस्सा सुसामण्णरया दंता इणमेव णिग्गंथं पावयणं पुरओकाउं विहरति ।
२५. श्रमण भगवान महावीर के अन्तेवासी बहुत से स्थविर भगवान, जाति-सम्पन्न, कुल - सम्पन्न, बल - सम्पन्न - उत्तम दैहिक शक्तियुक्त, रूप- सम्पन्न, विनय - सम्पन्न, ज्ञानसम्पन्न, दर्शन - सम्पन्न, चारित्र - सम्पन्न, लज्जा - सम्पन्न (पाप करने में लज्जायुक्त), लाघवसम्पन्न - भौतिक पदार्थों तथा कषाय आदि के भार से रहित थे ।
वे ओजस्वी - ( तप-संयमजन्य प्रभावयुक्त), तेजस्वी - (तपोजन्य दीप्तियुक्त), वचस्वी - प्रशस्तभाषी अथवा वर्चस्वी - वर्चस् या प्रभायुक्त, यशस्वी, क्रोधजयी, मानजयी, मायाजयी, लोभजयी, इन्द्रियजयी, निद्राजयी, परीषहजयी, जीवन की इच्छा और मृत्यु के भय से रहित थे।
वे श्रमण व्रतप्रधान, गुणप्रधान - संयम आदि गुणों की विशेषता से युक्त, करणप्रधानआहारविशुद्धि आदि की विशेषता सहित, चारित्रप्रधान - उत्तम चारित्र - सम्पन्न - दशविध यतिधर्म से युक्त, निग्रहप्रधान - मन एवं इन्द्रिय आदि का निग्रह करने वाले, निश्चयप्रधानसत्य तत्त्व के निश्चित विश्वासी या कर्मफल में आस्था रखने वाले आर्जवप्रधानसरलतायुक्त, मार्दवप्रधान - मृदुतायुक्त (अहंकाररहित), लाघवप्रधान - ( द्रव्य से अल्प-उपाधि वाले, भाव से तीन प्रकार के गौरव से रहित), क्षान्तिप्रधान - क्षमाशील, गुप्तिप्रधान - मानसिक,
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