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एक गाँव से दूसरे गाँव होते हुए चम्पा नगरी के उपनगर में पधारे हैं । अब पूर्णभद्र चैत्य में पधारेंगे।
देवानुप्रिय ! आपके प्रीत्यर्थ - प्रसन्नता हेतु यह प्रिय समाचार मैं आपको निवेदित कर रहा हूँ। यह आपके लिए प्रियकर हो । "
18. “O Beloved of gods ! The person whom you always desire to, are eager to, wish to and pray for to get an opportunity to behold and from your well-wishers for expect and wish to know how best you could go about it; the person to behold whom you wish to step ahead; the person, mere hearing of whose name and gotra (dan name) gives you joy and contentment and makes your heart bloom with dignity and exhilaration; that Shraman Bhagavan, wandering from one village to another, has arrived in a suburb of Champa city. He will now come to the Purnabhadra Chaitya.
O Beloved of gods! In order to enhance your joy I give you this good news. May this please you."
कूणिक हर्षित हो उठा
१९. तए णं से कूणिए राया भंभसारपुत्ते तस्स पवित्तिवाउयस्स अंतिए एयमहं सोच्चा णिसम्म हट्टतुट्ठ हियए, वियसिय- वरकमलणयणवयणे, पयलियवरकडग - तुडिय - केऊर-मउडकुंडल - हार - विरायंतरइयवच्छे, पालंबलंबमाण- घोलंत भूसणधरे । ससंभमं तुरियं चवलं नरिंदे सीहासणाओ अब्भुट्टेइ, अब्भुट्ठित्ता पायपीढाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता, पाउयाओ ओमुयइ, ओमुइत्ता अवहट्टु पंच रायक- कुहाई, तं जहा१. खग्गं, २. छत्तं, ३. उप्फेसं, ४. वाहणाओ, ५. वालवीयणं ।
एसडियं उत्तरासंगं करेइ, करेत्ता आयंते, चोक्खे, परमसुइभूए, अंजलिमउलियहत्थे, तित्थगराभिमुहे सत्तट्ठ पयाई अणुगच्छइ, सत्तट्ठपयाई अणुगच्छित्ता वामं जाणुं अंचेइ, वामं जाणुं अंचेत्ता दाहिणं जाणुं धरणितलंसि साहटु तिक्खुत्तो मुद्धाणं धरणितलंसि निवेसेइ, निवेसित्ता ईसिं पच्चुण्णमइ, पच्चुण्णमित्ता कडग- - तुडियथंभियाओ भुयाओ पडिसाहरइ, पडिसाहरित्ता करयल जाव कट्टु एवं वयासी
१९. तब भंभसार - पुत्र राजा कूणिक वार्त्ता - निवेदक ( सन्देशवाहक) से भगवान के आगमन का समाचार सुनकर, उसे हृदयंगम कर हर्षित एवं आनन्दित हुआ । उसका मुख
समवसरण अधिकार
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Samavasaran Adhikar
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