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चित्र परिचय - १
पूर्णभद्र यक्षायतन
चम्पानगरी के बाहर ईशानकोण में पूर्णभद्र नामक यक्ष का एक बहुत प्राचीन मन्दिर है। वहाँ पूर्णभद्र यक्ष की पत्थर की प्राचीन प्रतिमा है। जिस पर सिन्दूर- तैल चढ़ा है। यह चैत्य चारों ओर से अनेक प्रकार के फल-फूल वाले सघन छायादार वृक्षों के झुण्डों से घिरा हुआ है।
Illustration No. 1
यक्ष प्रतिमा के समक्ष तरह-तरह की भेंट, फल-फूल, मिष्ठान्न, धन सम्पत्ति का चढ़ावा रखा है। धूप - अगरबत्तियाँ आदि जलती रहती हैं। फूल मालाएँ टँगी है। मंगल घट रखे हैं । मन्दिर पर अनेक झण्डियाँ व पताकाएँ टॅगी हैं।
यहाँ अर्चा-पूजा करने वाले लोगों की भीड़ लगी रहती है । अनेक भक्त लोग वहाँ चढ़ावा चढ़ाते हैं । कथावाचक कथा करते हैं। हर समय प्रसाद बँटता रहता है। भक्तों की लम्बी कतारें लगी रहती हैं। लोग नाचते-गाते - बजाते हैं। दूर-दूर से लोग अनेक प्रकार की मनोकामना लिये आते रहते हैं ।
PURNABHADRA YAKSH TEMPLE
There is an ancient temple of Purnabhadra Yaksh outside the Champa city, in the north-eastern direction. In it is an ancient stone image of the deity covered with a paste of vermilion in oil. The temple is surrounded by clumps of a variety of dense trees laden with flowers and fruits.
- सूत्र २
Before the Yaksh image lie heaps of offerings such as fruits, flowers, sweets, cash and other valuables. Incense sticks and powders are burning. Flower garlands are hanging all around and auspicious urns are placed. Numerous flags and buntings add to its beauty.
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It is always crowded with devotees and worshipers coming in long queues and offering gifts. Story-tellers recite religious tales. Offerings are distributed all the time. People sing, dance, and play music. People from far and near come here to seek boons and get their wishes fulfilled.
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--Sutra 2
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