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चित्र परिचय - १०
अम्बड़ का उत्तरभव: दृढ़ प्रतिज्ञ कुमार
गणधर इन्द्रभूति के पूछने पर भगवान महावीर अम्बड़ परिव्राजक का दृढ़प्रतिज्ञ कुमार के भव का वर्णन करते हैं। महाविदेह क्षेत्र में एक धनाढ्य कुल में उसका जन्म होगा। आठ वर्ष का होने पर दृढ़ प्रतिज्ञ माता-पिता का आशीर्वाद प्राप्त कर कलाचार्य के पास शिक्षण हेतु जायेगा । बहत्तर कलाओं में निष्णात बनाकर कलाचार्य उसे माता-पिता को सौंप देते हैं। माता-पिता अनेक प्रकार के आभूषण, वस्त्र, धन आदि देकर कलाचार्य का सम्मान करते हैं।
युवा होने पर माता-पिता उसे विवाह करके धन-वैभव सम्पत्ति का उपभोग करने के लिए बहुतबहुत आग्रह करेंगे । दृढ़प्रतिज्ञ कुमार उनमें मोहासक्त नहीं होगा । वह घर त्याग कर दीक्षित होगा । दृढ़ प्रतिज्ञ मुनि अनेक वर्षों तक विविध प्रकार के तप करते हुए संयम का पालन करेंगे । अन्त में अनेक प्रकार के उपसर्गों को सहते हुए आठ कर्मों का क्षय करके ज्योतिर्मय स्थान सिद्धालय में जाकर विराजमान होंगे।
Illustration No. 10
AMBAD'S FUTURE BIRTH : PRINCE DRIDHAPRATIJNA
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On being asked by Ganadhar Indrabhuti Bhagavan Mahavir narrates the story of Ambad Parivrajak's reincarnation as prince Dridhapratijna. He will be born in an affluent family in the Mahavideh area. When he is eight years old, Child Dridhapratijna will get blessings of his parents and go to a scholar of numerous subjects. The teacher makes him an expert of seventy two arts and brings him back to his parents. The parents honour the teacher by offering him ample ornaments, dresses, and money.
- सूत्र १०१-११५
When he enters youth his parents will insist him to marry and enjoy their wealth and grandeur. Prince Dridhapratijna will avoid this attachment. He will renounce the household and get initiated. Ascetic Dridhapratijna will follow the path of ascetic discipline for many years observing a variety of austerities. In the end enduring many afflictions he will shed all the eight types of karmas and transcend to the radiant realm of Siddhas.
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-Sutra 101-115
SIKKA
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