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१०३. तए णं तस्स दारगस्स गब्भत्थस्स चेव समाणस्स अम्मापिईणं धम्मे दढा पइण्णा भविस्सइ। __ १०३. अम्बड़ शिशु के रूप में जब गर्भ में आयेगा, तब (उसके पुण्य प्रभाव से) मातापिता की धर्म में आस्था, श्रद्धा दृढ़-दृढ़तर होगी। _____103. When Ambad is conceived, the faith and belief of his parents in religion will grow stronger and stronger (due to his meritorious influence).
१०४. से णं तत्थ णवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अद्धट्ठमाणराइंदियाणं वीइक्कंताणं सुकुमालपाणिपाए, जाव ससिसोमाकारे, कंते, पियदंसणे, सुरूवे दारए पयाहिति।
१०४. नौ महीने साढ़े सात दिन पूर्ण होने पर बालक का जन्म होगा। उसके हाथ-पैर । सुकोमल होंगे यावत् वह सर्वांग सुन्दर होगा। उसका आकार चन्द्रमा के समान सौम्य होगा। । वह कान्तिमान्, देखने में प्रिय एवं सुरूप होगा। । 104. At the end of nine months and seven and a half days the | male child will be born. His limbs will be delicate... and so on up to... he will be perfectly beautiful. His appearance will be as soothing as the moon. He will be radiant, lovable and handsome.
१०५. तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे ठिइवडियं काहिंति, बिइयदिवसे चंदसूरदंसणियं काहिंति, छठे दिवसे जागरियं काहिंति, एक्कारसमे दिवसे वीइक्कंते णिवत्ते असुइजायकम्मकरणे संपत्ते बारसाहे दिवसे अम्मापियरो इमं एयास्वं गोणं, गुणणिप्फण्णं णामधेज्जं काहिंति-जम्हा णं अम्हं इमंसि दारगंसि गन्भत्थंसि चेव समाणंसि धम्मे दढपइण्णा तं होउ णं अम्हं दारए ‘दढपइण्णे' णामेणं। तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो णामधेज्जं करेहिंति दढपइण्णत्ति। । १०५. तत्पश्चात् माता-पिता पहले दिन उस बालक का कुलक्रमागत रीति अनुसार । जन्म सम्बन्धी अनुष्ठान करेंगे। दूसरे दिन चन्द्र-सूर्य-दर्शनिका करेंगे। छठे दिन जागरिका
रात्रि जागरण करेंगे। ग्यारहवें दिन वे अशुचि-शोधन विधान (स्नान आदि) से निवृत्त होंगे। फिर बारहवें दिन माता-पिता उसका गुणनिष्पन्न नामकरण करेंगे, जैसे-इस बालक के गर्भ में आते ही हमारी धार्मिक आस्था दृढ़ हुई थी, अतः इसे 'दृढ़प्रतिज्ञ' नाम से पुकारा जाय, 'दृढ़प्रतिज्ञ'-यह गुणानुरूप, गुणनिष्पन्न नाम रखेंगे।
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अम्बड़ परिव्राजक प्रकरण
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Story of Ambad Parivrajak NEEMEDY wwwwwwwwwwwwwwwww
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