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समवसरण अधिकार SAMAVASARAN ADHIKAR
चम्पा नगरी की शोभा
१. (क) तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नामं नयरी होत्था, रिद्धस्थिमियसमिद्धा। पमुइयजण-जाणवया आइण्ण-जणमणूसा। हल-सयसहस्स-संकिट्ठ-विकिट्ठ-लट्ठ-पण्णत्तसेउसीमा। कुक्कुड-संडेयगामपउरा, उच्छु-जव-सालि-कलिया, गो-महिस-गवेलगप्पभूया।
१. (क) उस काल-(वर्तमान अवसर्पिणी के चौथे आरे के अन्तिम समय में) उस समय-(जब आर्य सुधर्मा इस पृथ्वी पर विचर रहे थे) चम्पा नामक नगरी थी। वह धन एवं भवनों से ऐश्वर्यशाली थी। शत्रु आदि के भय से सुरक्षित थी तथा व्यापार आदि के कारण बहुत समृद्ध थी।
चम्पा के निवासी नागरिक जन और पूरे जनपद (देश) के निवासी निर्भय तथा सुखी थे। नगरी में आमोद-प्रमोद-मनोरंजन के साधन होने से वहाँ रहने वाले सदा खुश रहते थे। नगर की आबादी बहुत घनी थी।
• वहाँ की भूमि बार-बार सैकड़ों, हजारों हलों द्वारा जोती जाने से मिट्टी, कंकर, पत्थररहित मुलायम तथा उपजाऊ थी। किसानों ने अपने खेतों पर मेंड़ें बनाकर सीमा निर्धारित कर रखी थी। इस कारण कभी उनमें विवाद नहीं होता था। __ वहाँ (किसानों व ग्वालों के घरों में) मुर्गे और तरुण साँड़ों की बहुलता थी। खेतों मेंईख, जौ तथा धान (शालि) के सुन्दर पौधे लहलहाते रहते थे। गाय और भैंसों की बहुलता होने से जनता को दूध-दही आदि का अभाव नहीं था। भेड़ें भी बहुत थीं। THE GRANDEUR OF CHAMPA CITY
1. (a) During that period (end of the fourth section of the current descending cycle of time) of time (when Arya Sudharma was living on this earth) there was a city called Champa. It was opulent both in terms of wealth and architecture. It was well protected against enemies and was affluent due to its commercial activities.
The residents of Champa and the vast population of the country were happy and secure. The citizens were ever cheerful due to the
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