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* संस्करण जैसा लगता है। उसके जीवन के कुछ आचार व साधना पद्धति वैदिक परम्परा से प्रभावित है* जैसे शुचिमूलकधर्म, बाह्य शुद्धि के लिए स्नान आदि तथा त्रिदण्ड, कमण्डलु, रुद्राक्ष आदि धारण करना । * जबकि अनशनमय घोर तप, अदत्त ग्रहण का त्याग, भिक्षा विधि तथा भगवान महावीर द्वारा कथित
श्रमणोपासक धर्म का पालन आदि आचार श्रमण परम्परा के अनुकूल है। लगता है उस समय वैदिक
एवं श्रमण परम्परा के बीच समन्वय-प्रधान कड़ी जोड़ने वाली ऐसी साधना पद्धति प्रचलित थी, जो आज ॐ लुप्त प्रायः हो चुकी है। प्रस्तुत सूत्र में अम्बड़ परिव्राजक के आचार आदि का विस्तृत वर्णन है।
प्रस्तुत सूत्र में अम्बड़ के काम्पिल्यपुर से पुरिमताल जाने का उल्लेख है। काम्पिल्यपुर उस समय ॐ दक्षिण पांचाल प्रदेश का प्रमुख नगर था। द्रुपद राजा की यही राजधानी थी। उपासकदशासूत्र के अनुसार
यह एक समृद्ध नगरी थी। कुण्डकौलिक श्रावक यहीं का निवासी था। इस समय यह बदायूँ और 2 फर्रुखाबाद (उ. प्र.) के बीच बूढ़ी गंगा के किनारे काम्पिल नाम के ग्राम के रूप में विद्यमान है।
'पुरिमताल' के सम्बन्ध में इतिहासविज्ञों में मतभेद है। कुछ विद्वान् मानभूमि के 'पुरुलिया' नामक स्थान को ही पुरिमताल बताते हैं तो कुछ प्रयाग का प्राचीन नाम 'पुरिमताल' बताते हैं। भगवान ऋषभदेव को पुरिमताल उद्यान में केवलज्ञान हुआ था। भगवान महावीर भी साधना काल में कई बार पुरिमताल पधारने का उल्लेख है। लगता है अयोध्या के आसपास ही इसकी अवस्थिति रही होगी।
Elaboration—This aphorism contains details about Ambad Parivrajak. In Agams a person with this name-Ambad-finds mention at three places. There is a brief mention of Ambad Parivrajak in Bhagavati Sutra (14/8). Sthananga Sutra (9) gives more details about a person named Ambad Parivrajak who is endowed with some special powers. He attended the discourse of Bhagavan Mahavir in Champa city. When he was about to leave Champa for Rajagriha, Bhagavan asked Ambad to convey the news of his well being to a Shramanopasika (a devoted Jain woman) named Sulasa living in Rajagriha. Ambad thought-Who is this
fortunate women to whom Bhagavan wishes to send the message of his ____well being? What is so special about her ? Ambad decided to test Sulasa's
level of righteousness and went to Rajagriha. He first impressed thousands of citizens of Rajagriha with a display of his miracles and then tried his best to impress Sulasa also. But Sulasa was neither deluded nor impressed by the hallucinations created by him. Ambad Parivrajak was humbled by the strength of Sulasa's righteousness and he showered praise on her for her resolve. He finally got enlightenment and is destined to be a Tirthankar in the future time-cycle.
The Ambad Parivrajak described in Aupapatik Sutra seems to be a different person than the one mentioned in Sthananga Sutra. The Ambad Parivrajak described here appears to be a strange mixture of Vedic and Nirgranth traditions. Some of his codes of conduct and spiritual practices
HowNwANUANJALINDANDALOPATOPATOPATOPATOPATOPATOVAYOVAYOYAoratoYAYVAYOYAYOYAYOratoPAYOSAROVAROPANOOD
औपपातिकसूत्र
(250)
Aupapatik Sutra
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