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उपपात वर्णन DESCRIPTION OF UPAPAT
PARAN
औपपातिकसूत्र के समवसरण नामक पूर्वार्द्ध में भगवान महावीर का चम्पा नगरी में आगमन, 2 कूणिक राजा का विशाल सैन्य सज्जा के साथ दर्शनार्थ गमन, धर्म-श्रवण और देशना सुनकर वापस स्वस्थान आगमन तक का वर्णन है।
अब उत्तरार्द्ध में इन्द्रभूति गौतम गणधर के विविध प्रकार के प्रश्न एवं भगवान द्वारा प्रदत्त उत्तरों १ का विस्तृत वर्णन है। ये प्रश्न अधिकतर जीवों के नरक एवं देवगति में उपपात (जन्म) से सम्बन्धित ॐ होने के कारण यह उत्तरार्द्ध उपपात नाम से प्रख्यात है।
The first section of Aupapatik Sutra, titled Samavasaran contained the description of Bhagavan Mahavir's arrival in Champa city, arrival of
king Kunik along with his army to pay homage and then return after *al attending the discourse.
This second section contains detailed description of numerous questions asked by Ganadhar Indrabhuti Gautam and answers given by
Bhagavan Mahavir. As most of these questions are related to the upapat * (instantaneous birth) of souls in infernal and divine worlds it is popularly * known as Upapat. * इन्द्रभूति गौतम
६२. तेणं कालेणं तेणं समएणं भगवओ महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी इंदभूई णाम अणगारे गोयमगोत्तेणं सत्तुस्सेहे, समचउरंससंठाणसंठिए, वइररिसहणारायसंघयणे, * कणगपुलगणिघसपम्हगोरे, उग्गतवे, दित्ततवे, तत्ततवे, महातवे, घोरतवे, उराले, घोरे,
* गोरगुणे, घोरतवस्सी, घोरबंभचेरवासी, उच्छूढसरीरे, संखित्तविउलतेउलेस्से समणस्स * भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते उटुंजाणु, अहोसिरे, झाणकोट्ठोवगए संजमेणं तवसा * अप्पाणं भावमाणं विहरइ।
६२. उस काल, उस समय (जब भगवान महावीर चम्पा नगरी में विराजमान थे) श्रमण भगवान महावीर के ज्येष्ठ अन्तेवासी गौतमगोत्रीय इन्द्रभूति अनगार, जिनकी देह की ऊँचाई सात हाथ थी, जो समचतुरस्र-संस्थान-शरीर के धारक थे, जिनकी विशिष्ट देह रचना वज्र-ऋषभ-नाराच-संहननयुक्त थी। उनका गौरवर्ण कसौटी पर घिसी हुई स्वर्ण-रेखा के
समान आभायुक्त एवं कमल के समान केसरी कान्ति वाला था। जो उग्र तपस्वी (घोर तप 2 औपपातिकसूत्र
(208)
Aupapatik Sutra
OUNDALDIATOPATOHAATORatoyrroYAYOYAYOYAYOYAYOYAYVACYAYODAYANVAROYALOPAROYALOYALOPALog
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