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| चित्र परिचय-६ ।
Illustration No.6
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सम्राट् कूणिक की दर्शन यात्रा ___ चम्पापति सम्राट कूणिक भगवान महावीर की वन्दना करने के लिए स्नान आदि करके विविध प्रकार के आभूषणों को धारण कर अपने सुसज्जित प्रधान हाथी पर आसीन हुआ। उसके दर्शन यात्रा के जुलूस में सबसे आगे अष्ट मंगलपट लिये सैनिक रवाना हुए। उनके पीछे भरे हुए कलश, झारियाँ, छत्र, चँवर, झण्डा, ध्वजा, पताकाएँ लिए राज पुरुष चले। उनके पीछे तरह-तरह के शस्त्र हाथ में लिए सैनिक थे। उनके साथ-साथ वीणातुणीर आदि वाद्य बजाने वाले, स्वस्ति वचन बोलने वाले, दण्डधारी, मोर पिच्छ रखने वाले, गाने, बजाने, नाचने वाले, क्रीड़ा कौतुक करते हुए लोग। उनके पीछे एक सौ आठ उच्च जाति के घोड़ों पर घुड़सवार, फिर एक सौ आठ हाथी, फिर रथ सवार और उनके पीछे पैदल सैनिक चलने लगे। चतुरंगिणी सेना के पीछे हाथी पर आरूढ़ राजा कूणिक थे। उनके गले में सुवासित फूलों की मालाएँ, मस्तक पर मुकुट पहना था। छत्र, चंवर आदि धारण
करने वाले, राजा के आगे घुड़सवार तथा दायें-बायें हाथी सवार चल रहे थे। राजा के हाथी के पीछे श्रेष्ठ रथों *श में रानियाँ व राजपरिवार था। उनके पीछे विशाल जन समुदाय।
नगर के हजारों लोग राजा पर फूल बरसा रहे थे। जय-जयकार कर रहे थे। कोई शंख बजाकर, कोई । तालियाँ बजाकर हर्ष प्रकट कर रहे थे। दर्शक प्रजा जन राजा की जय बोलते हुए अनेक प्रकार के आशीर्वाद तथा मंगल वचन बोल रहे थे। इस प्रकार विशाल जुलूस के साथ भगवान महावीर के दर्शन करने राजा कूणिक । ने प्रस्थान किया।
-सूत्र ४९-५२ EMPEROR KUNIK'S PROCESSION After taking his bath and adorning himself with a variety of ornaments, King Kunik took his seat on his leading and decorated elephant in order to go to pay homage to Bhagavan Mahavir. The procession started with the eight auspicious symbols. These were followed by the royal attendants carrying pitchers and jars filled with water, divine umbrellas, flags, whisks and the beautiful flag of victory. Next came many soldiers carrying different types of weapons. Next in order were many artists playing musical instruments like Vina and Tunir, flatterers, staff holders, many carrying peacock feather brooms, singers, dancers, and other entertainers. After them came one hundred eight riders on pedigreed horses, one hundred elephants, chariots, and contingents of foot soldiers. After this four pronged army came King Kunik. His chest was adorned with fragrant garlands, on his head glittered his crown. Over his head was an umbrella. Whisks were being waved on his flanks. His escort group comprised of horse riders in front and elephant riders on flanks. The king's elephant was followed by his queens and other family members in chariots. In the end came masses of people.
Thousands of hailing citizens showered flowers on the king. They were expressing their joy by clapping and blowing conch-shells. He was greeted and
blessed by thousands of people singing in his praise. Thus King Kunik moved in * an elaborate procession to behold and pay homage to Bhagavan Mahavir.
-Sutra 49-52
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