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४१. राजा कूणिक का ऐसा आदेश मिलने पर उस सेनानायक ने हर्ष एवं प्रसन्नतापूर्वक हाथ जोड़े, उन्हें सिर के चारों ओर घुमाया, अंजलि को मस्तक से लगाया तथा विनयपूर्वक आदेश स्वीकार करते हुए निवेदन किया-“महाराज की जैसी आज्ञा।' ।
सेनानायक ने राजाज्ञा स्वीकार कर हस्तिसेना के अधिकारी को बुलाया; बुलाकर कहा"देवानुप्रिय ! महाराज कूणिक के लिए प्रधान, उत्तम हाथी को सजाकर शीघ्र तैयार करो। घोड़े, हाथी, रथ तथा श्रेष्ठ योद्धाओं से परिगठित चतुरंगिणी सेना को तैयार कराओ। फिर मुझे आज्ञा पालन हो जाने की सूचना करो।"
41. On getting this order from king Kunik the army officer happily waved his joined palms around his face before touching his forehead and uttered in humble acceptance—“As you wish, my lord !"
Accepting the king's order the army officer called an officer of the elephant brigade and instructed—“Beloved of gods ! Make ready quickly the best of elephants suitable for king Kunik. Also call the four pronged army with the best of horses, elephants, chariots and warriors to a state of readiness. Report back as soon as all this is done." अभिषेक हस्ति की सज्जा
४२. तए णं से हत्थिवाउए बलवाउयस्स एयमढे सोच्चा आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ, पडिसुणित्ता आभिसेक्कं हत्थिरयणं छेयायरियउवएसमइकप्पणाविकप्पेहिं सुणिउणेहिं उज्जल-णेवत्थ-हत्थपरिवत्थियं, सुसज्जं धम्मिय-सण्णद्धबद्धकवइयउप्पीलिय-कच्छ-वच्छ-गेवेय-बद्धगलवर-भूसणविरायंतं, अहियतेयजुत्तं सललियवरकण्णपूरविराइयं, पलंबओचूलमहुयरकयंधयारं चित्तपरिच्छोअपच्छयं, पहरणावरणभरियजुद्धसज्जं, सच्छत्तं, सज्झयं सघंट, सपडागं, पंचामेलयपरिमंडियाभिरामं, ओसारियजमलजुयलघंटे, विजुपिणद्ध व कालमेहं, उप्पाइयपव्वयं व चंकमंतं, मत्तं, महामेहमिव गुलगुलंतं, मणपवणजइणवेगं, भीमं, संगामियाओज्जं आभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेइ, पडिकप्पेत्ता हय-गय-रहपवरजोहकलियं चाउरंगिणिं सेणं सण्णाहेइ, सण्णाहेत्ता जेणेव बलवाउए, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणइ।
समवसरण अधिकार
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Samavasaran Adhikar
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