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________________ * उपवास-तेला, (४) दशम भक्त-चार दिन का उपवास, (५) द्वादश भक्त-पाँच दिन का उपवास, (६) चतुर्दश भक्त-छह दिन का उपवास, (७) षोडश भक्त-सात दिन का उपवास, a (८) अर्द्धमासिक भक्त-आधे महीना या पन्द्रह दिन का उपवास, (९) मासिक भक्त-एक महीने al का उपवास, (१०) द्वैमासिक भक्त-दो महीनों का उपवास, (११) त्रैमासिक भक्त-तीन महीनों का उपवास, (१२) चातुर्मासिक भक्त-चार महीनों का उपवास, (१३) पाँचमासिक भक्त-पाँच * महीनों का उपवास, (१४) पाण्मासिक भक्त-छह महीनों का उपवास। यह इत्वरिक तप का * विस्तार है। (आचार्य श्री घासीलाल जी महाराज के कथनानुसार भगवान आदिनाथ के शासन में इसकी मर्यादा नवकारसी से एक वर्ष पर्यन्त, शेष बावीस तीर्थंकरों के समय में अष्टमास पर्यन्त तथा भगवान महावीर के शासन में छह मास पर्यन्त अवधि थी।) यावत्कथिक तप क्या है ? यावत्कथिक (आजीवन) तप दो प्रकार का है-(१) पादपोपगमन-कटे हुए वृक्ष की तरह शरीर को स्थिर रखते हुए जीवन-पर्यन्त आहार का त्याग, (२) भक्तप्रत्याख्यान-जीवनपर्यन्त आहार का त्याग। पादपोपगमन तप क्या है ? पादपोपगमन तप के दो भेद हैं-(१) व्याघातिम-व्याघातवत् या विघ्नयुक्त (सिंह आदि हिंसक प्राणी या दावानल आदि का उपद्रव हो जाने पर जीवनभर के लिए आहार-त्याग करना), (२) निर्व्याघातिम-निर्व्याघातवत्-(विघ्नरहित-किसी प्रकार का बाह्य उपद्रव न होने पर भी मृत्युकाल समीप जानकर अपनी इच्छा से जीवनभर के लिए आहार त्याग करना।) पादपोपगमन (अनशन) में प्रतिकर्म-शरीर संस्कार, औषधोपचार हलन-चलन आदि * क्रिया का त्याग रहता है। इस प्रकार पादपोपगमन यावत्कथिक अनशन होता है। भक्तप्रत्याख्यान तप क्या है-कितने भेद हैं ? भक्तप्रत्याख्यान तप के दो भेद हैं-(१) व्याघातिम, (२) निर्व्याघातिम। इसमें प्रतिकर्म का त्याग नहीं होता। __ यह भक्तप्रत्याख्यान अनशन का विवेचन है। (1) ANASHAN TAP 30. (b) What is this Anashan tap ? * औपपातिकसूत्र (76) Aupapatik Sutra Jain Education International www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only
SR No.002910
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2003
Total Pages440
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_aupapatik
File Size16 MB
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