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भगवान के श्रमणों की 22 उपमाएं
कमल के समान निर्लेप
आकाश के समान आलम्बन रहित
- पवना के समान गृहरहित
जीव के समान अप्रतिहतगति
चन्द्र के समान सौम्य
शुद्ध स्वर्ण के समान निर्दोष चारित्रवान
कुए के समान गुप्तेन्द्रिय
11
शंख के समान कांसे के
उज्ज्व ल-राग रहित पात्र की तरह निर्लेप
दर्पण के समान
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सूर्य के समान
11 तेजस्वी
यज्ञाग्नि के न तेजोदीप्त
भारण्ड पक्षी के समान अप्रमत्त
समुद्र के समान
गम्भीर
17
गेंड़े के सींग के समान एकाकी
पक्षी के समान परिकर से मुक्त
हाथी के समान शक्तिशाली
18
शरद ऋतु के जल के समान स्वच्छ हृदय
मेरु के समान अप्रकम्प
20
वृषभ के समान धैर्यशाली
19
घी के समान क्षमाशील
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सिंह के समान पराक्रमी
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