________________
卐
))
)
1555555555555555555559 i. ५. सरस बलवर्द्धक आदि आहार का त्याग : ब्रह्मचर्य पर जैसे काम विकारयुक्त बातों का प्रभाव पड़ता है, . | वैसे ही भोजन का भी प्रभाव पड़ता है। अतः पाँचवीं भावना आहार सम्बन्धी बताई गई हैं। जो साधक जिह्वा म
इन्द्रिय पर पूरी तरह नियंत्रण स्थापित कर पाता है, वही निरतिचार ब्रह्मव्रत आराधन करने में समर्थ होता है। इसके विपरीत जिह्वालोलुप सरस, स्वादिष्ट एवं पौष्टिक भोजन करने वाला इस व्रत का सम्यक् प्रकार से पालन — नहीं कर सकता। अतएव इस भावना में दूध, दही, घृत, नवनीत, तेल, गुड़, खाँड़, मिश्री आदि के भोजन के त्याग का विधान किया गया है। मधु, माँस एवं मदिरा, ये महाविकृतियाँ है, इनका सर्वथा परित्याग तो अनिवार्य ही है। बड़े-बड़े साधक स्वाद के कारण रसनेन्द्रिय के गुलाम बने हुये हैं। ब्रह्मचारी पुरुष को ऐसा नीरस, रूखा-सखा एवं सात्त्विक भोजन ही करना चाहिए जो वासना के उद्रेक में सहायक न बने और जिससे संयम ॥
का भलीभाँति निर्वाह भी हो जाये। ____ यहाँ एक स्पष्टीकरण आवश्यक है। आगम 'पुरुष' की प्रधानता को लक्ष्य में रखकर विरचित होते हैं। इस कारण यहाँ ब्रह्मचारी पुरुष को स्त्रीसंसर्ग, स्त्रीकथा, स्त्री के अंगोपांगों के निरीक्षण आदि के वर्जन का विधान किया गया है। किन्तु नारी साधिका-ब्रह्मचारिणी के लिए पुरुषसंसर्ग, पुरुषकथा आदि का वर्जन समझ लेना चाहिए। नपुंसकों की चेष्टाओं का अवलोकन ब्रह्मचारी और ब्रह्मचारिणी दोनों के लिए समान रूप से वर्जित है। के
Elaboration - In the above mentioned aphorism five contemplations of the vow of brahmcharya have been narrated so that one may properly practice this vow according to scriptures. They are as follows
1. Aloof bed (or place of rest). 2. Discarding talk about women. 3. Not to see closely the beauty and the like of the women. 4. Not to recollect the worldly enjoyments of the previous period. 5. To avoid tasty rich food that increases physical strength.
The gist of the first sentiment namely aloof bed is that one who practices. vow of chastity, he should not stay in such a pace where ladies are nearby, they move about, they talk or where prostitutes are in the neighbourhood. There is a danger that the vow may break by living at 5 such a place as it creates disturbance in mind.
The second sentiment is avoiding talk about women. One who practices vow of chastity, he should avoid discussion by sitting among women. Further, he should avoid giving an account about the sexual enjoyment of women, their awareness activities, laughter and the like, their dress, their beauty, their caste, family, their types and their marriage celebrations, such a talk also produces delusion. In case anyone else in making such like talk, he should not listen to it. He should not even think about such matters in his mind.
))
)
)))
))))
|श्रु.२, चतुर्थ अध्ययन : ब्रह्मचर्य संवर
(373)
Sh.2, Fourth Chapter : Chastity Samvar
क
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org