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विषय
Subject
Page No.
पृष्ठ सं. ३४६-३७६
चतुर्थ अध्ययन-ब्रह्मचर्य
१. ब्रह्मचर्य की महिमा
३४६ २. बत्तीस उपमाओं से मण्डित ब्रह्मचर्य ३५२
३. महाव्रतों का मूल : ब्रह्मचर्य
346
Fourth ChapterBrahmcharya
346-376 1. Importance of Chastity
346 2. Thirty Two Similies of Vowof Chastity
352 3. Basis of All Major Vows: Brahmcharya
358 4. Causes Adversely Affecting Chastity
361 5. Codes Safe-guarding Chastity 362 6. Five Sentiments of Vow ofChastity
A) First Sentiment : Aloof Bed 365
४. ब्रह्मचर्य-विघातक निमित्त
३६१
३६२
३६५
५. ब्रह्मचर्य-रक्षक नियम ६. ब्रह्मचर्यव्रत की पाँच भावनाएँअ) प्रथम भावना :
विविक्त-शयनासन ब) द्वितीय भावना :
स्त्री-कथावर्जन स) तृतीय भावना : स्त्रियों के
रूप-दर्शन का त्याग द) चतुर्थ भावना :
पूर्वभोग-चिन्तन-त्याग
३६७
३६८
३६९
य) पाँचवीं भावना :
स्निग्ध सरस भोजन-त्याग ३७१ 7. उपसंहार
3194 पंचम अध्ययन-परिग्रहत्याग ३७७-४३७
B) Second Sentiment: Avoiding ___Stories about Women 367 C) Third Sentiment: Avoiding
Looking at Beauty of Women 368 D) Fourth Sentiment :
Avoiding Recollection of Earlier Enjoyments
369 E) Fifth Sentiment :Avoiding
Rich Tasty Juicy Food 371 7. Conclusion
375 Fifth ChapterDiscarding Parigraha 377-437 1. Introduction
377 2. Dharma Tree
395
३७७
३९५
१. उत्क्षेप २. अपरिग्रह संवर का स्वरूप
धर्म-वृक्ष की उपमा ३. अपरिग्रही के लिये
अकल्पनीय-अनाचरणीय ४. सन्निधि-त्याग
3. Prohibitions for the Detached
396
३९६ ३९८
4. Discarding Collection of
Possession
398
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