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Subject
Page No.
विषय
पृष्ठ सं. ६. प्रजापति द्वारा सृष्टि-सर्जन की मान्यता ९२ ७. मृषावाद
९८ ८. ईर्ष्या-द्वेषवश झूठा दोषारोपण ___ करने वाले
१०२ ९. लोभजन्य अनर्थकारी झूठ १०४ १०. असत्यवादी : उभय-घातक ११. पाप का परामर्श देने वाले १०८ १२. पाप कार्य में सहभागी बनने वाले
११०
१०७
१३. हिंसक उपदेश-आदेश १४. युद्धादि के उपदेश-आदेश १५. मृषावाद का भयानक फल
१११ ११४ ११६
१६. फलविपाक की भयंकरता
२०
6. Belief of Creation by Prajapati 92 7. Falsehood (Mrishavad) 8. False Allegations out of
Jealousy 9. Falsehood Arising from Greed 104 10. Falsehood : Dual Harm 11. Advisors of Sin 12. Becoming Partners in
Violent Sinful Acts 13. Violent Lessons and Orders 14. Lesson or Order about War 15. Dreadful Results of
Falsehood 16. Dreadfulness of
Consequences 17. Conclusion Third ChapterAdattadan (Stealing)
123-176 1. Introduction of Adatt
123 2. Thirty Synonyms of Stealing 3. Various Types of Stealing 4. Attack by Rulers to Secure
Money 5. Various Weapons for the
Battle 6. Dreadfulness of Battlefield 7. Thieves in Forest 8. Sea Robbers
140 9. Village Robbers 10. Jail Tortures to Thieves
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१७. उपसंहार
१२१ तृतीय अध्ययन-अदत्तादान १२३-१७६ ।
१२६
१. अदत्त का परिचय २. अदत्तादान के तीस नाम ३. चौर्यकर्म के विविध प्रकार ४. धन के लिए राजाओं का आक्रमण
१३० १३३
134
५. युद्ध के लिए विविध प्रकार की
शस्त्र-सज्जा ६. युद्ध-स्थल की वीभत्सता ७. वनवासी चोर ८. समुद्री डाकू ९. ग्रामादि लूटने वाले १०. चोर को बन्दीगृह में होने वाली
यातनाएँ
१३४ १३६ १४० १४० १४५
145
१४९
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