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चित्र - परिचय 14
आम्रवद्वार का उपसंहार
हिंसा, असत्य, चौर्य, अब्रह्मचर्य और परिग्रह - इन पाँचों आस्रवद्वार के निमित्त से आत्मा प्रतिसमय कर्मरूपी रज का संग्रह करके चार गतिरूप (नरक, तिर्यंच, मनुष्य एवं देव) संसार सागर में परिभ्रमण करता रहता है। ऊपर के चित्र में आस्रवों के माध्यम से आत्मा पर कर्म रज का संग्रह दिखाया है और नीचे के चित्र में आस्रव सेवित आत्मा को चार गतिरूप संसार में परिभ्रमण करता बताया है। आश्रव सेवित जीव मोक्ष नहीं जा सकता ।
- सूत्र 98, पृ. 244
Illustration No. 14
CONCLUSION OF DOOR OF INFLOW
Violence, falsity, stealing, non-celibacy, and covetousness, these five doors of inflow of karma cause the soul to acquire Karmic dust every moment and as a consequence it continues to drift in the sea of the cycles of rebirth in four genuses (infernal, animal, human and divine). The illustrations at the top show this acquisition of karmic dust. Those at the bottom show the entrapped soul moving about in four genuses. A soul open to inflow of karmas does not get liberated.
- Sutra-98, page - 244
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