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________________ 因 % %%%% %% %% %%% %%%% %%%%% %%% %% %%%%% %%% 5 no use for having the ecstatic pleasure of salvation the lasting welfare of 41 the soul. 29. Aasakti–Deep attachment, total absorption - all this is 卐 parigraha. 30. Asantosh-Not to feel satisfied in the mind with the external things. Even if one does not have such things, if there is feeling of dissatisfaction in the mind at the end, it is parigraha. + देव एवं मनुष्यगण भी परिग्रह के पाश में बँधे हैं GODS AND HUMANS : VICTIMS OF PARIGRAHA ९५. तं च पुण परिग्गहं ममायंति लोहघत्था भवणवर-विमाण-वासिणो परिग्गहरुई परिग्गहे विविहकरणबुद्धी देवणिकाया य असुर-भुयग-गरुल-विज्जु-जलण-दीव-उदहि-दिसि-पवणथणिय-अणवण्णिय-पणवण्णिय-इसिवाइय-भूयवाइय-कंदिय-महाकंदिय-कुहंड-पयंगदेवा पिसायभूय-जक्ख-रक्खस-किण्णर-किंपुरिस-महोरग-गंधव्वा य तिरियवासी। पंचविहा जोइसिया य देवा बहस्सई-चंद-सूर-सुक्क-सणिच्छरा राहु-धूमकेउ-बुहा य अंगारका य तत्ततवणिज्जकणयवण्णा जे य, गहा जोइसिम्मि चारं चरंति, केऊ य गइरईया अट्ठावीसइविहा य णक्खत्तदेवगणा णाणासंठाणसंठियाओ य तारगाओ ठियलेस्सा चारिणो य अविस्साम-मंडलगई उवरिचरा। ___ उडलोयवासी दुविहा वेमाणिया य देवा सोहम्मी-साण-सणंकुमार-माहिंद-बंभलोय-लंतकमहासुक्क-सहस्सार-आणय-पाणय-आरण-अच्चुया कप्पवरविमाणवासिणो सुरगणा, गेविज्जा ॥ अणुत्तरा दुविहा कप्पाईया विमाणवासी महिडिया उत्तमा सुरवरा। ___ एवं च ते चउबिहा सपरिसा वि देवा ममायंति भवण-वाहण-जाण-विमाण-सयणासणाणि य णाणाविहवत्थभूसणापवरपहरणाणि य णाणामणिपंचवण्णदिव्वं य भायणविहिं णाणाविहकामरूवे वेउब्वियअच्छरगणसंघाते दीव-समुद्दे दिसाओ विदिसाओ चेइयाणि वणसंडे पव्वए य गामणयराणि य आरामुज्जाणकाणणाणि य कूव-सर-तलाग-वावि-दीहिय-देवकुल-सभप्पव-वसहिमाइयाई बहुयाई कित्तणाणि य परिगिण्हित्ता परिग्गहं विउलदव्वसारं देवावि सईदगा ण तित्तिं ण तुर्द्वि उवलभंति। ____अच्चंत-विउललोहाभिभूयसत्ता वासहर-इक्खुगार-वट्ट-पव्यय-कुंडल-रुयग-वरमाणुसोत्तरकालोदहि-लवण-सलिल-दहपइ-रइकर-अंजणक-सेल-दहिमुह-ओवाउप्पाय-कंचणक-चित्तविचित्त-जमकवरिसिहरिकूडवासी। ___वक्खार-अकम्मभूमिसु सुविभत्तभागदेसासु कम्मभूमिसु जे वि य णरा चाउरंतचक्कवट्टी वासुदेवा बलदेवा मंडलीया इस्सरा तलवरा सेणावई इब्भा सेट्ठी रट्ठिया पुरोहिया कुमारा दंडणायगा माडंबिया सत्थवाहा कोडुंबिया अमच्चा एए अण्णे य एवमाई परिग्गहं संचिणंति। 四FFFFFFFFFFFFFFFFFFF$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$F श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र (232) Shri Prashna Vyakaran Sutra 因身男男%%%% %%%% %%% %%%% %% %%%% % %%%%%%% % Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002907
Book TitleAgam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Varunmuni, Sanjay Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2008
Total Pages576
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_prashnavyakaran
File Size19 MB
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